बीएसएफ ने तस्करों की कोशिशों को किया नाकाम, एक गौ तस्कर मुठभेड़ में हुआ ढेर
न्यूज भारत, मुर्शिदाबाद: दक्षिण बंगाल सीमांत के अंतर्गत 141 वाहिनी की सीमा चौकी जालंगी के जवानों ने अपनी सूझ बूझ, निडरता और बहादुरी का परिचय देते हुए एक मवेशी को सीमा पार होने से बचाया। इस बीच, तस्करों ने बीएसएफ जवानों पर हमला भी किया लेकिन हमले की परवाह न करते हुए जवानों ने तस्करों को मुंहतोड़ जवाब दिया। जवाबी कार्रवाई में एक तस्कर ढेर हो गया।
दरअसल, दिनांक 31 जुलाई, 2023 को बीएसएफ की सीमा चौकी जालंगी के जवानों ने ड्यूटी के दौरान अपने जिम्मेवारी के इलाके से 01 मवेशी को तस्करों के चंगुल से छुड़वाया। रात लगभग 0130 बजे, ड्यूटी पर तैनात जवानों को अपने जिम्मेवारी के इलाके में कुछ संदिग्ध गतिविधि का अंदेशा हुआ। जवानों ने देखा कुछ तस्कर मवेशी के साथ बीएसएफ डॉमिनेशन लाइन की तरफ बढ़ रहे थे। जवानों ने तस्करों का पीछा किया और ललकारा। लेकिन तस्कर जवानों कि चेतावनी को नजरंदाज कर लगातार डॉमिनेशन लाइन की तरफ बढ़ रहे थे। जवानों ने नजदीक जाकर जब तस्करों को रोकना चाहा तो उन्होंने जवानों पर हमला कर दिया। तस्करों का आक्रामक रहै।या देखकर जवानों ने अपनी आत्म सुरक्षा में 01 स्टन ग्रेनेड तस्करों कि तरफ फेंका लेकिन तस्कर फिर भी नहीं रुके। देखते ही देखते तस्करों ने जवानों को चारों तरफ से घेर लिया और जवानों पर हमला तेज कर दिया। आखिरकार, जवानों ने जवाब में अपनी आत्मरक्षा में अपने निजी हथियार से 02 राउंड फायर किए। यह देख तस्करों के होश उड़ गए और तस्कर अंधेरे का फायदा उठा कर भाग निकले। तत्पश्चात, इलाके की गहन तलाशी के दौरान जवानों ने मौके से एक मवेशी जब्त किया।
बीएसएफ की जवाबी कार्रवाई में एक तस्कर भी ढेर हो गया। तस्कर की पहचान मोमीनुल इस्लाम (उम्र 35 वर्ष), पिता बबलू शेख, गांव जिन्नतपारा, थाना रानीनगर, जिला मुर्शिदाबाद के रूप में हुई।
तस्कर के शव को थाना जालंगी और जब्त मवेशी को आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए ध्यान फाउंडेशन को सौंप दिया गया है
तस्कर अक्सर करते हैं जवानों पर जानलेवा हमला- बीएसएफ प्रवक्ता
दक्षिण बंगाल सीमांत के प्रवक्ता श्री ए के आर्य, डीआईजी ने बताया की भारत–बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ जवान अपनी जान की परवाह किए बैगर सीमा पर मुस्तैद रहते हैं। आगे उन्होंने कहा की जब तस्करों को उनके गलत मनसूबों में सफ़लता नहीं मिलती है तो वे जवानों पर जान लेवा हमला करते हैं जिसकी वजह से कई बार हमारे जवान गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। जवान अपनी और सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के साथ–साथ तस्करी को रोकने के लिए कड़े कदम उठाते हैं जिसके परिणामस्वरूप कई बार तस्करों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।