अनुशासन ही बच्चों को बचाएगा कोरोना सेः डा. प्रिंस

जीवन रक्षक टीके और दवाओं पर कोताही ना बरतें

पवन शुक्ल, सिलीगुड़ीः  समय के साथ अब बच्चों के पालन-पोषाण में बदलाव आज की आवशयकता हो गर्इ है। हलांकि कोरोना के संकट से पूरी दुनियां लड़ रही है, देशा-विदेश के वैज्ञानिक कोरोना की दवा पर अनुसंधान कर रहे हैं, परंतु सफलता अभी पूरी तरह हाथ नहीं लगी। इसिलए कोरोना से बचाव के लिए खासकर बच्चों में अनुशासन की आवश्यकता है। जो कोरोना से लड़ने के लिए ह्रयूमिनि‍टी को बढ़ता है, साथ-साथ बच्चों के जीवन में अधिक उर्जा का संचार होता है, जिससे रोगों से मुक्ति, मजबूत फिटनेस के साथ उनकों पढ़ार्इ में एकाग्रचित रखाने के लिए सहायक होता है। आज स्वास्थय सलाह में विभिन्‍न राष्‍ट्रीय पुरस्‍कारों से सम्‍मानित सिलीगुड़ी के प्रख्यात “बाल रोग विशेषज्ञ डा. प्रिंस परिख”बच्‍चों से जुड़ी बातें पर अपने सुझाव बता रहे हैं। आजकल लोग बच्चों को उनके हिसाब से सोने, जागने, खाने के साथ उनकी खुशी के लिए कर्इ प्रकार की सुविधाएं बच्चों को दी जा रही है। लेकिन यह उनके स्वास्थय के लिए न ही उनके मानसिक विकास में सहायक नहीं होती है। साथ विश्व महामारी के रुप में पैर पसार रहे कोरोन से संक्रमित होने की संभावना भी अधिक हो जाती है। अनुशासन ही कोरोना के इस दौर में बच्चों के बचाव में सबसे अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने बताया की सबसे पहले बच्चों में देर तक सोने की आदत छुड़ाना होगा। समय से जागने की आदत डालना होगा, इसके साथ समय से पैष्टिक भोजन, एवं उनकी दिनचर्या में अब सुधार लाना होगा। साथ ही उनके खेलकूद में योग को भी शामिल करना होगा। सोने-जागने,पढ़ने व खेलने का टार्इम भी निर्धारित करना होगा। यह दिनचर्या जब उनकी ठीक होगी, तो स्वास्थय ठीक रहेगा, साथ कोरोना जैसी जानलेवा बिमारी से लड़ने के लिए ह्रयूमिनिटी मजबूत होगी।

अमेरिकन बाल रोग अकादमी का कहना है कि जिस बच्चे की उम्र 2 वर्ष से कम उसके लिए कोई स्क्रीन समय नहीं है। जबिक 2 से 4 साल की उम्र के लिए एक घंटे का अभिभावक अपने सुपरविजन में स्क्रीन समय सीमा तय करें। वहीं बच्चों के शैक्षिक और मनोरंजन की जरूरतों के अनुसार 5 से अधिक वर्षों के लिए स्क्रीन कर अनूकूल समय होता है। वहीं बच्चों को दोस्तों के साथ लाइव वीडियो चैट, परिवार के सदस्यों की अनुमति बिना नहीं करनी चाहिए। बच्चों के लिए सबसे अहम सुरक्षा के लिए अहम है। जिसमें चित्र में रंग,पेंटिंग,शिल्प,संगीत,कहानी,बागवानी,व्यायाम,योग,नृत्य से संगीत के साथ वटामिन डी के लिए घूप लेने की सलाह दें। बच्चों की शारीरिक क्षमता के विकास के लिए खाने में पोषाणयुक्त आहार दें। जिसमें अधिक पानी, खट्टे फल, हरी सब्जियों और फलों को मौसम अनुसार दें। वहीं चीनी और नमक की मात्रा कम हो। भोजन सुपाच्य हो, छह माह से 6 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए मां विशेषरुप से स्तनपान ही कराएं जिससे बच्चों को अधिक लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि बच्चे को कोरोना (कोविड-19) को लेकर सरल भाषा में बाताएं,साथ ही उसके तथ्य को सकारात्मकता रुप में बतांए। उन्हें कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार,वैज्ञानिक,डॉक्टर कोरोना से मुकाबला करने के लिए समाधान खोजने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं।  बच्चों को स्वास्थय रखने के उपायों में जैसे उनकी स्वास्थय व पढ़ार्इ पर धयान देने के साथा, सोशल डिस्टन्सिंग का ध्यान रखाना, सैनिटाइज़र का प्रयोग करना, हमेशा मास्क लगाने के साथ समय-समय पर हाथों की सफार्इ जरूरी है। उन्‍होंने अभिभावाकों से कहा कि बच्‍चों के लिए खासकर जीवन रक्षक टीके और दवाएं समय-समय पर अपने चिकित्‍सक की सलाह पर ले, इसमें कोताही ना बरतें। वहीं डब्ल्यूएचओ, आईएपी, एएपी दिशानिर्देशों के अनुसार, समय पर दिए जाने वाले (DPT,MEASLES(MMR),OPV,IPV,FLU,PNEUMOCOCCAL,JE सहित टीकों को समय पर लिया जाना चाहिए। समय पर टीकाकरण से बच्‍चों की जान बचाने में सहायक होता है।