आजादी के बाद से 1951 से 2017 के बीच बीजेपी और जनसंघ का इस सीट पर कई बार रहा है कब्जा
शहर उत्तरी खासतौर पर कारोबारियों का क्षेत्र माना जाता है, भाजपा की रही मजबूत पकड़
राजेश कुमार शुक्ल,वाराणसी
आजादी के बाद से ही वाराणसी की उत्तरी विधानसभा सीट पर कई बार भगवा लहराया है। 1951 से 2017 के बीच हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जनसंघ का आठ बार इस सीट पर कब्जा रहा है। वहीं कांग्रेस भी इस सीट पर पांच बार जीत दर्ज करा चुकी है। 1996 से 2007 तक चार बार लगातार सपा काबिज रही है।
2012 और 2017 में भाजपा के रविंद्र जायसवाल ने जीत दर्ज की है। 2017 में सपा और कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी अब्दुल समद अन्सारी को 30 हज़ार से ज्यादा मतों से हार का मुंह देखना पड़ा था। बसपा से सुजीत मौर्य तीसरे स्थान पर रहे थे। बीजेपी ने एक बार फिर रविंद्र जायसवाल को टिकट देकर हैट्रिक बनाने का मौका दिया। आम आदमी पार्टी ने डॉक्टर आशीष जायसवाल ,बसपा ने श्याम प्रकाश उर्फ़ रेखा राजभर, कांग्रेस ने गुलराना तबस्सुपम ,सपा ने अशफाक अहमद डब्लू को टिकट दिया है। रविंद्र जायसवाल उस वक्त चर्चा में आए जब इन्होंने बतौर विधायक वेतन छोड़ेने का ऐलान किया था। शहर उत्तरी खासतौर पर कारोबारियों का क्षेत्र माना जाता है। भाजपा विधायक रवींद्र जायसवाल की पकड़ अपने क्षेत्र के लगभग 60 हजार वैश्य वोटरों में अच्छी मानी जाती है। इनको बड़े व्यापारी नेता के तौर पर भी लोग देखते हैं। वर्तमान में रविंद्र जायसवाल यूपी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं।
2017 में सपा-कांग्रेस गठबंधन के बावजूद जीत नहीं मिली। रविंद्र जायसवाल को 1 लाख 16 हजार 17 वोट मिले थे। उन्होंने कांग्रेस के अब्दुल समद अंसारी को 45,502 वोटों से हराया था। बीएसपी प्रत्याशी सुजीत कुमार मौर्य 32,574 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे। वाराणसी के उत्तरी विधानसभा क्षेत्र में कुल 40,3325 मतदाता हैं।जातिय समीकरण की बात करें तो शहर उत्तरी में हिंदू मतदाताओं की संख्या लगभग 2,55,000 है। जबकि करीब 1,45,000 मुस्लिम वोटर हैं। वैश्य वोटर लगभग 60 हजार, ठाकुर करीब 50 हजार, और कायस्थ 30 लगभग हजार हैं। रविंद्र जायसवाल विकास के सहारे हैट्रिक लगाना चाहते हैं। ट्रेड फैसिलिटी सेंटर, अविरल और निर्मल गंगा के लिए एसटीपी प्लांट, ईएसआईसी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का उच्चीकरण किया गया है। सारनाथ में लाइट एंड साउंड शो कार्यक्रम, सड़कों का चौड़ीकरण, सीवर, बिजली और पेयजल की सुविधा दुरुस्त की गई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भी काम हुआ है।