बैठक में एलएसी पर हथियार के इस्तेमाल की इजाजत
न्यूज भारत, नई दिल्ली : भारतीय सेना ने चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हथियार न ले जाने के नियमों में बदलाव करते हुए अब किसी भी असाधरण स्थिति में हथियार चलाने की अनुमिति मिलने के बाद जवानों के हौसले बुलंद है। रविवार को सेना के तीनों अंगों के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। मिली जानकारी के अनुसार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रविवार को थल सेना, वायुसेना व जल सेना के साथ बैठक हुई। बैठक में सबसे पहले सेना के बंधे हाथ को खोलते हुए अब साथ मे हथियार ले जाने और कठिन स्थिति में चलाने की अनुमति मिल गई। बैठक में सेना के सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों के बीच हुए करार के नियमों को बदल दिया गया है और फील्ड कमांडरों को सैनिकों को आदेश देने के लिए असाधारण परिस्थितियों में हथियार (बंदूक) का उपयोग करने का आदेश दिया गया है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि जमीन पर स्थिति से निपटने के लिए सेना को पूरी स्वतंत्रता दी गई है। भारतीय पक्ष को पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए कोर कमांडर स्तर पर प्रस्तावित वार्ता के दौरान चीनी सेना के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने की उम्मीद है। भारत और चीन यानी दोनों पक्षों द्वारा 1966 और 2005 में हस्ताक्षर किए गए सीमा समझौतों के अनुसार एक-दूसरे पर गोली नहीं चलाने का करार है। बता दें कि पिछले दिनों चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच पैट्रोलिंग पॉइंट 14 के पास गलवन घाटी में खूनी झड़प हो गई थी। झड़प के दौरान 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और करीब 45-45 चीनी सैनिक भी मारे गए और हताहत हुए थे। झड़प के बाद चीन ने अपनी पोस्ट वहां से हटा ली थी। गौरतलब है कि अभी हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारतीय सैनिकों ने हथियार क्यों नहीं प्रयोग किए इस पर सवाल किया था। जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि सीमा पर सभी भारतीय जवान हथियारों से लैस होते हैं। यहां तक कि पोस्ट छोड़ने के दौरान भी भारतीय जवान हथियारों के साथ होते हैं। बीते 15 जून को हुई घटना का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा था कि उस दिन भी हमारे जवान निहत्थे नहीं थे। हमारे जवान साल 1996 और 2005 में चीन के साथ हुए समझौते के तहत गोला बारूद का इस्तेमाल नहीं करने को मजबूर थे। बता दें कि 1996 देवेगौड़ा और 2005 में मनमोहन सिंह की सरकारें थी।