रहे ना रहे हम महका करेंगे...

नहीं रही सुरों की मलिका लता, देश शोक में डूबा श्रद्धांजलि देने के लिए लगा तांता

कोकिल स्‍वर के एक युग हुआ खामोश, नितिन गडकरी अस्‍पताल पहुंचे

पीएम मोदी ने कहा, दीदी के खालीपन को भरा नहीं जा सकता योगी ने जताया दुख्‍, कहां संगीत एक युग का अंत  

आकाश शुक्‍ल सिलीगुडी  

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक कुशल गायक थे। दीनानाथ जी ने लता को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे पांच साल की थी। उनके साथ उनकी बहनें आशा, ऊषा और मीना भी सीखा करतीं थीं। लेकिन सरस्‍वती पूजा के दूसरे दिन देश में हर शक्‍स के दिलों पर संगीत से करीब छह दशकों तक राज करने वाली स्‍वारों की मलिका लता मंगेशकर रविवार को मुम्‍बई के एक अस्‍पताल में रविवार की सुबह 8 12 पर निधन हो गया।

स्‍वर कोकिला लता के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि संगीत के इस खाली पन को भरा नहीं जा सकता। यह देश के लिए अपूर्णिय क्षति हुई। इसके अलावा उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍य नाथ ने ट्वीट कर दुख जताया। वहीं केन्‍द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अस्‍पताल पहुंच कर श्रद्धांजलि अर्पित की। 

मालूम हो कि लता मंगेशकर (जन्म 28 सितंबर, 1929 इंदौर) भारत की सबसे लोकप्रिय गायिका थीं। जिनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालाँकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है। लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है। लता दीदी को भारत सरकार ने 'भारतरत्न' से सम्मानित किया है।
लता का जन्म गोमंतक मराठा समाज परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में सबसे बड़ी बेटी के रूप में पंडित दीनानाथ मंगेशकर के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता रंगमंच एलजीके कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना।
हालाँकि लता का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र मे हुई। वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं। बचपन में कुन्दन लाल सहगल की एक फ़िल्म चंडीदास देखकर उन्होने कहा था कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेगी। पहली बार लता ने वसंग जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म कीर्ती हसाल के लिये गाया। उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फ़िल्मों के लिये गाये इसलिये इस गाने को फ़िल्म से निकाल दिया गया। लेकिन उसकी प्रतिभा से वसंत जोगलेकर काफी प्रभावित हुये।
पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की वज़ह से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फ़िल्मों में काम करना पड़ा। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फ़िल्म पाहिली मंगलागौर (1942) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी। बड़ी माँ, में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका निभाई आशा भोंसलेने। उन्होंने खुद की भूमिका के लिये गाने भी गाये और आशा के लिये पार्श्वगायन किया।
वर्ष 1942 ई में लताजी के पिताजी का देहांत हो गया इस समय इनकी आयु मात्र तेरह वर्ष थी. भाई बहिनों में बड़ी होने के कारण परिवार की जिम्मेदारी का बोझ भी उनके कंधों पर आ गया था. दूसरी ओर उन्हें अपने करियर की तलाश भी थी। जिस समय लताजी ने (1948) में पार्श्वगायिकी में कदम रखा तब इस क्षेत्र में नूरजहां, अमीरबाई कर्नाटकी, शमशाद बेगम और राजकुमारी आदि की तूती बोलती थी। ऐसे में उनके लिए अपनी पहचान बनाना इतना आसान नही था। लता का पहला गाना एक मराठी फिल्म कीति हसाल के लिए था, मगर वो रिलीज नहीं हो पाया।
1945 में उस्ताद ग़ुलाम हैदर (जिन्होंने पहले नूरजहाँ की खोज की थी) अपनी आनेवाली फ़िल्म के लिये लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गये जिसमे कामिनी कौशल मुख्य भूमिका निभा रही थी। वे चाहते थे कि लता उस फ़िल्म के लिये पार्श्वगायन करे। लेकिन गुलाम हैदर को निराशा हाथ लगी। 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में में लता को गाने का मौका दिया। इस फ़िल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने मज़बूर फ़िल्म के गानों "अंग्रेजी छोरा चला गया" और "दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने" जैसे गानों से अपनी स्थिती सुदृढ की। हालाँकि इसके बावज़ूद लता को उस खास हिट की अभी भी तलाश थी।
1949 में लता को ऐसा मौका फ़िल्म "महल" के "आयेगा आनेवाला" गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही थी और लता तथा मधुबाला दोनों के लिये बहुत शुभ साबित हुई। इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।


पिता दिनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय गायक थे।

उन्होने अपना पहला गाना मराठी फिल्म 'किती हसाल' (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था।

लता मंगेशकर को सबसे बड़ा ब्रेक फिल्म महल से मिला। उनका गाया "आयेगा आने वाला" सुपर डुपर हिट था।

लता मंगेशकर अब तक 20 से अधिक भाषाओं में 30000 से अधिक गाने गा चुकी हैं।

लता मंगेशकर ने 1980 के बाद से फ़िल्मो में गाना कम कर दिया और स्टेज शो पर अधिक ध्यान देने लगी।

लता ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं।

लता मंगेशकर ने आनंद घन बैनर तले फ़िल्मो का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है।

वे हमेशा नंगे पाँव गाना गाती हैं।

लता जी की युवावस्था की छबि


पुरस्कार

फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)

राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 and 1990)

महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 and 1967)

1969 - पद्म भूषण

1974 - दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड

1989 - दादा साहब फाल्के पुरस्कार

1993 - फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार

1996 - स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

1997 - राजीव गान्धी पुरस्कार

1999 - एन.टी.आर. पुरस्कार

1999 - पद्म विभूषण

1999 - ज़ी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

2000 - आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

2001 - स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

2001 - भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न"

2001 - नूरजहाँ पुरस्कार

2001 - महाराष्ट्र भूषण