साधना की शख्शियत-34
2011 से शुरू सफर हुआ 2019 के बीच 9 गोल्ड व एक सिल्वर मेडल
पवन शुक्ल,सिलीगुड़ी : सपनों की मंजिल के रास्ते आसान नहीं होते,लेकिन लगन और मेहनत में ईमानदारी हो, तो सपनें अपने होने में थोड़ा वक्त लगता है, लेकिन मिलती अवश्य मिलती है। सिलीगुड़ी वार्ड-8 के रामजी लाल केशरी की पुत्री सागरिका केशरी का सपना पुलिस/सेना में जाने का है,पर सपनें को अभी तक पंख तो नहीं लगे। लेकिन मेहनत और लगन से तायक्वोंडो की दुनियां खुद के लगन और मेहनत से आज राष्ट्रीय व अंर्तराष्ट्रीय इस प्रतियोगिता में पंख लगाए सोने की चिडि़या बन कर आसमान की उचाईयों में उड़ चली। सागरिका ने 6 कक्षा में प्रवेश के समय ताइक्वांडो (मार्शल आर्ट) की ओर रूख किया और उसकी मुलाकात कोच विप्लब लश्कर से हुई। उनके बेहतर ज्ञान व प्रशिक्षण ने उसे एक मुकाम से शुरू कर आसामान की बुलंदियों तक पहुंचा दिया। पहली बार मुझे तब बहुत खुशी मिली जब वर्ष 2010 में पहली बार कोलकाता में इंटर स्कूल टूर्नामेंट भाग लिया और कास्यं पदक जीतने के बाद तो उसे भारत में ताइक्वांडो की दुनियां में सोने के मेडल की खान बनकर अंर्तराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सोने के मेडल को जीतकर देश का गौरव बढ़ाया। वास्तव में अगर सपनों के मंजिल को पाने की लगन दिल से और बेहतर हो तो मिली सफलता को ‘साधना की शख्शियत’ कहते हैं। हलांकि सागरिका को अपने इस अंर्तराष्ट्रीय बेहतर प्रर्दशन से सरकार से भी उम्मीद थी, कुछ और बेहतर करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, परंतु, अफसोस ऐसा कुछ हुआ नहीं और खुद जीवन को बेहतर बनाने के लिए खुद की कोचिंग का रास्ता चुना।‘ समाज में आज-कल लड़कियों की सुरक्षा बहुत अहम हो गई है। इसके उन्हें खुद को तैयार करना होगा, ऐसे में मार्शल आर्ट उनकी सुरक्षा में काफी मददगार साबित होगा। मैं भी समाज में बदलाव के लिए कुछ करना चाहती हूं, और इस कला मार्शल आर्ट के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। उन्हीं संभवनाओं को तलाश के लिए सिलीगुड़ी में मार्शल आर्ट की कोचिंग शुरू कर रही हूं। सागरिका का कहना है कि बचपन से पुलिस/सेना में जाने का सपना है, पर अभी तक पूरा तो नहीं, लेकिन सपनों की उम्मीद अभी बाकि है। अपनी सफलता पर सागरिका ने बताया कि आज मैं मार्शल आर्ट में एक अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता हूं, पर सपनों को साकार करने में माता-पिता,कोच,भाई-बहनों और शुभचिंतकों को प्रेरित करने और उनकी सराहना करने से आज एक मुकाम मिला इसके लिए विशेष रूप से सभी को धन्यवाद देना चाहती हूं।‘
सागरिका के सोने का सफर
* 2011,इंटर स्कूल टूर्नामेंट-स्वर्ण पदक
* 2016, प्रथम राष्ट्रीय ओपन ताइक्वांडो टूर्नामेंट,दिल्ली-स्वर्ण पदक
* 2017- द्वितीय राज्य ताइक्वांडो टूर्नामेंट, सिलीगुड़ी-स्वर्ण पदक
* 2018- 15 वीं राष्ट्रीय चैम्पियनशिप,गोवा- स्वर्ण पदक
* 2018- जिला ताइक्वांडो टूर्नामेंट-स्वर्ण पदक
* 2019- तीसरा दक्षिण एशियाई ओपन ताइक्वांडो चैम्पियनशिप,दिल्ली-स्वर्ण पदक
* 2019- तीसरी बंगाल स्टेट चैम्पियनशिप,सिलीगुड़ी-सिल्वर मेडल
* 2019- दूसरा अंतर्राष्ट्रीय ताइक्वांडो टूर्नामेंट,ताशकंद उजबेकिस्तान-स्वर्ण पदक
* 2019-16 वीं राष्ट्रीय चैम्पियनशिप, उदयपुर राजस्थान-स्वर्ण पदक।