बेरूखी के बाद खुद से बेरूखी सी हो गई है...!

  राज्यों की बेरूखी से मजदूरों का महानगरों से मोह भंग
गुजरात में कपड़ा मिलों में एक शिफ्ट चल रही फैक्ट्री
दिल्ली, मुम्ब, हरियाणा व पंजाब में मजदूरों का टोटा

योगी की पहल, मजदूरों को प्रदेश में ही मिलेगा रोजगार

पवन शुक्ल, सिलीगुड़ीः वैश्विक बिमारी कोरोना को रोकने के लिए केन्द्र सरकार के लाकडाउन की घोषणा से देश के महानगरों में काम करने वाले मजदूरों की हालत सबसे अधिक खराब हु। पहले 15 दिन तो कट गए, लेकिन उसके बाद जो हाल, दिल्ली, मुम्ब, राजस्थान, मध्यप्रदेश और  गुजरात में हुआ उससे करोड़ों कामगर मजदूरों का भरोसा राज्य सरकारों से उठ गया। अपने वतन के लिए ट्रक, बस, ट्रेन, खुद की सार्इकिल अगर कुछ नहीं तो पैदल निकल गए। हलांकि जैसे-तैसे अपने घर पहुंचने के बाद कामगार मजदूरों का महानगरों की चका-चौंधा से मोहभंग हो गया है। मजूदरों से जब उस वक्त के हालात की चर्चा करने पर उनके साथ हु बेरुखी से मिले जख्म, के हालात बयां करते आंखें भर जाती है। “बेरूखी के बाद खुद से बेरूखी सी हो ग है, मैं जिंदगी से और जिंदगी मुझसे अजनबी सी हो गर्इ।।” मजदूरों के दर्द की कहानी इस शेर से सटीक बैठती है। कहतें हैं महानगरों की चकाचौंध ने बहुत जख्म दिए। सिलीगुड़ी पहुंचे नागराकाट के विशाल क्षेत्री, व वीरपाड़ा के अजय उंराव, दुर्गा केकेटा, अमित जोरा व संजय टोप्पो ने कहा कि जेब भी खाली और पेट भी खाली है किसी तरह हमें अपने घर अपनों के बीच पहुंचने पर ही राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि आज महानगरों में जो बड़े माल, मल्टी स्टोरी बिल्डिंग और फरार्टेदार सड़कों पर दौड़ती बेश कीमती गाड़ियों को दौड़ने के लायक बनाने में हम मजदूरों का ही पसीना बहा है। लेकिन कोरोना संकट ने आज अपने और पराए का फर्क बता दिया। हम वहां भी मजदूरी करते थे, अब यहां भी मजदूरी करेंगे, कुछ भी करेंगे पर महानगरों की चका-चौंध से दूर ही रहने की कोशिश करेंगे। क्योंकि वहां सब कुछ बड़ा है पर दिल के मामले में महानगरों के लोग बहुत छोटे हैं। इसी प्रकार चाहे दार्जिलिंग, जलपार्इगुड़ी समेत उत्तर बंगाल के सभी जिलों के कामगारों का रहा है।  
मालूम हो कि ये हाल सिर्फ बंगाल का ही नही इससे बदतर तो हाल उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखांड के प्रवासी मजदूरों का हुआ। लाखों की संख्या में पलायन करने वाले बिहारी मजदूरों की हालत तो क्वारंटिन सेंटर में देखने पता चलता था कि महानगरों की चका-चौध ने उन्हें कितना जख्म दिया है। अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो कमोवेश वहां के भी कामगार मजदूरों का यही हाल रहा। हलांकि उत्तर प्रदेश सरकार  महानगरों से लौटे कामगार मजदूरों को लेकर उन्हे रोजगार उपलब्ध कराने की योजना पर काम कर रही है। मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कामगार मजदूरों के खाते में एक हजार रुपये भेजने के बाद वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लाभार्थियों से बातचीत कर उनके हालत को टटोलने की कोशिश भी कि, इस क्रम में खोराबार क्षेत्र के जंगल रामगढ़ उर्फ चंवरी के दीपू और संदीप से मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात की और हाल जाना। और उनसे पूछा, कि अगर यहां काम मिलेगा तब भी बाहर जाओगे, जवाब में दोनों ने कहा, बाहर नही जाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाहर से आए प्रवासी श्रमिकों एवं प्रदेश के विभिन्न जिलों में रोज कमाने वाले कामगार में मजदूरों से विडियों कांफ्रेसिंग के माधयम से लगातार बात कर रहे हैं।  
गोरखापुर में 90 हजार लोगों को लाभ: गोरखपुर जिले का 90 हजार लोग एक-एक हजार रुपये की धनराशि दी जानी है। इनमें से 18000 के खाते में शनिवार को धनराशि भेज दी गई है, शेष के खाते में भी जल्द ही भेज दी जाएगी।