साईबर लूट का गोरखधंधा बना गूगल प्लेस्टोर पर लोन देने वाला ‘माकैश’
आसान तरीके से पैसा देने का होता है प्रचार, फेसबुक पर हजारों एप मौजूद
लोन के नाम मामूली रकम आनलाइन लेते, रिफंड की बात पर मांगते हैं ‘एनीडेस्क’
पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी
साईबर की बढ़ती दुनिया के बीच संचार के बढ़ते संसाधनों के बीच फ्राड और धोखाधड़ी के में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। वहीं सोशल मिडिया फेसबुक, टूकालर पर हजारों एप डाउनलोड कर आसनी से 5 मिनट में लोन देने का वादा कर रहे हैं। उनके वादों की हकीकत यह है कि आप एप डाउनलोड कराकर पहले आपकी पूरी जानकारी हासिल करते हैं। उसके बाद एक आसान फार्म आनलाइन भरने को कहते हैं। उसके बाद कुछ मामूली रकम पेमेंट करने के लिए आप्शन आता है। बेरोजगारी और कोरोना संक्रमण के कारण और पैसों की जरूरत पर आप मामूली रकम पेमेंट कर देते हैं। लेकिन कोई जवाब नहीं आने पर आप अगर उनके कस्टमर केयर तक पहुंचने में सफलता हासिल कर लिए हैं। तो वहां आपको और सावधानी की जरूरत है। क्योंकि मीठी आवाज में आपके पैसे को वापसी की बात कह कर पहले फोन पर एनी डेस्क डाउनलोड करने को कहते हैं। अगर आप उनकी बातों के चक्कर में आकर अपनी मामूली सी रकम पाने के लिए एनीडेस्ट डाउनलोड कर उन्हे अपने मोबाइल का स्क्रीन अगर दिया, तो आपके खाते के पैसे को आसानी से उडा सकता है। अभी के दौर में इस तरह की घटना एक आम बात हो गई है। जरूरत सरकार को इस साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने की। वहीं एक सबसे बड़ी आफत मोबाइन नंबर पर बधाई आप इस लोन के लिए एलिजबल है। क्लीक टू लिंक एक नंबर पर दिनभार में करीब 5 से 10 मैसेज आते रहते हैं।
सिलीगुड़ी के एक व्यक्ति ने गत तीन दिन पहले फेसबुक से माकैश डाउनलोड कर लोन के लिए अप्लाई किया। उसके मोबाइल पर मैसेज आया 694 रूपये जमा करने का। अपनी जरूरत पूरी करने के लिए 60, हजार की पाने की जद्दोजहद में पैसा अपने स्टेटबैंक खाते से पेटियम से ट्रांफर किया। वह पैसा रोजरपे साफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटे के खाते में 10-09-2021 को देर रात 12 बजकर 8 मिनट 26 सकेंड पर ट्रांसफर हुआ। जिसके ट्रांजेक्शन आईडी 125300583698 है और यह razor.pay@sbi को ट्रांसफर हुआ। दो दिन के इंतजार के बाद जब माकैश से कोई रिप्लाइ नहीं आया तो उसने service@themacash.in को मेल किया। कोई जवाब नहीं आने पर किसी तरह से कस्टमर केयर का नंबर लिया। फिर उसने 07718493750 पर फोन किया। संबंधित ने लूटे ग्राहक को सांत्वना देते हुए बोला कि मैं अपने सीनीयर से बात कराती हूं। बातचीत के दौरान ही उसके सीनीयर के मोबाइल नंबर 983318105 से तीन मिसकाल आ गया। पुन: काल आने पर कनेक्ट हुआ जब ग्राहक ने अपनी परेशानी बताया तो संबंधित सीनीयर ने सामने वाले को एनीडेस्क गुगल प्लेस्टोर से डाउन लोड करने को कहा। सवाल जवाब में जब ग्राहक ने एनीडेस्क डाउन लोड करने से मना किया तो गाली-गलौज के बाद फोन काट दिया गया।
क्या है एनीडेस्क, मोबाइल पर खतरनाक
एनीडेस्क रिमोट डेस्कटप साफ्टवेयर है। इसके माध्यम से आप घर बैठे किसी कम्प्यूटर इंजीनीयर से अपने कम्प्यूट की समस्या का समाधान हो जाता है। वैसे तो यह साफ्टवेयर घर बैठे आपके कम्प्यूटर को दुरूस्त करने के लिए बनाय गया है। लेकिन एन्ड्रायए मोबाइल आने के बाद इसका अधिकतर प्रयोग जालसाज ग्राहकों के पैसे उनके खाते से निकालने के लिए प्रयोग कर रहे हैं। क्या करें क्या ना करें
सबसे पहले आप अपने उस मोबाइल पर एनीडेस्क डाउनलोड ना करें जिससे बैंक के लिंक जुडे हो। वहीं अगर बहुत जरूरी हो तो एनीडेस्क उसी को दें जिसे आप पुरी तरह से जानते हो और काम होने के बाद तुरंत उसे अनस्टाल कर दें। भरसक प्रयास करें कि मोबाइल पर रिमोट साफ्टवेयर एनीडेस्क ना डाउनलोड करें।
दिल्ली पुलिस ने झारखंड में पकडा था बड़ा गिरोह
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने झारखंड के एक दूर दराज के गांव में आनलाइन फ्रांड करने वाले दस लोगों के गिरोह को पकड़ा था। जिसका मास्टगांड 18 साल का युवक था। इ गिरोह के दस सदस्यों में कोई शाखा प्रबंधक होता था कोई कस्टमर केयर बनकर ग्राहकों से उनके एटीएम कार्ड नंबंर और उसके पीन लेता था। जब ग्राहक उसे पीन और एसएमएस के ओटीपी को देने के साथ ही खाते से पैसा दूसरे खाते में ट्रांसफर हो जाता। जब तक ग्राहक समझता नंबर ब्लाक और खाते से पैसा गायब कर लेते थे।