सीमा पर देवदूत बन रहे बीएसएफ के जवान

पेश की मानवता की मिशाल, जहरीले सांप दो महिलाओं को डंसा सही समय पर अस्पताल पहुंचाया बची गई जान

न्‍यूज भारत, कोलकाता : एक तरफ जहां भारत-बंगलादेश की सीमाओं की साख को बरकरार रखने के लिए दिन रात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान एक किए हुए हैं। वहीं सीमा पर बसे गांवों की स्‍वास्‍थय सुरक्षा के साथ कोरोना जैसी महामारी में भी बखूबी भूमिका निभा रहे हैं। बीएसएफ के जवानों ने देर रात में मुर्शिदाबाद में तैनात 86 बटालियान के जवानों ने शिकारपुर गांव में डंस लिया। घटना की जानकारी होते ही बीएसएफ के जवानों ने तत्‍काल एंबुलेंस से दोनों महिलाओं को अस्‍पताल पहुंचाकर मानवता की मिशाल पेश किया है। बीएसएफ की इस कार्रवाई से दोनों में महिलाओं की जान बच गई तो उनके परिजनों नें बीएसएफ का धन्‍वाद किया। बीएसएफ सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा ही नहीं अपितु  कोरोना महामारी का समय हो या सामान्य स्थिति, सीमा सुरक्षा बल देश की सीमा पर लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है।

बीएसएफ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि पहली घटना 10 अगस्त की रात की है जिसमें शिकारपुर गांव की 45 वर्षीय सुपर्णा सवर्णाकर अपने घर में सो रही थी। सोने के दौरान ही सुबह करीब 1.45 बजे एक जहरीले सांप ने काट लिया। बॉर्डर आउट पोस्ट शिकारपुर के कंपनी कमांडर को जब इस घटना की जानकारी हुई। उन्होंने बिना समय गवांए बीएसएफ एम्बुलेंस को एक नर्सिंग सहायक के साथ सुपर्णा स्वर्णकार के घर भेजा और उसे तुरंत उसके परिवार के साथ अस्पताल ले गए और उसे इलाज के लिए करीमपुर अस्पताल में भर्ती कराया। प्राथमिक उपचार के बाद मरीज की हालत ठीक बताई जा रही है।

वहीं दूसरी घटना भी दोपहर 12.45 बजे शिकारपुर क्षेत्र की है, जिसमें मौसमी बेगम (गांव-केचू डंगा) नाम की 23 वर्षीय महिला को घर का काम करते हुए सांप ने काट लिया। बॉर्डर आउट पोस्ट शिकारपुर के कंपनी कमांडर को जब इस घटना की जानकारी हुई तो उन्होंने बिना देर किए बीएसएफ की एंबुलेंस एक नर्सिंग सहायक के साथ मौसमी बेगम के घर भेज दी और मौसमी बेगम को इलाज के लिए करीमपुर अस्पताल में भर्ती कराया। उपचार के बाद मरीज की हालत अब ठीक बताई जा रही है।

दोनो महिलाओं के पति ने बीएसएफ का जताया आभार

सुपर्णा स्वर्णकार के पति सपन स्वर्णकार और मौसमी बेगम के पति जहांगीर मंडल दोनों ने बीएसएफ के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अगर बीएसएफ ने सही समय पर मदद नहीं की होती तो उनकी पत्नियों के शरीर में सांप का जहर फैल जाता और उनकी मौत हो सकती थी। इधर अपने जवानों की इस मानवाता मिशाल की सराहना करते हुए 86 बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर सुरेंद्र कुमार इस सराहनीय कार्य के प्रति अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा की बीएसएफ बोर्डर पर क्राइम को रोकने के अलावा सीमावासियों के साथ  हर मुश्किल घड़ी में खड़ी रहती है।