चाहे जान ये मेरी रहे न रहे…

कारगिल युद्ध में मणिपुर के शहीदों को श्रद्धांजलि

असम राइफल ने विजय दिवस पर शहीदों को किया नमन

भारत माता के जयकारे से गूंजी तोंमलोग देशभक्ति की आवाज हुई बुलंद

बड़े सपने देखने, बड़ा सोचने और राष्ट्र निर्माण में रचनात्मक योगदान दें युवा : कमांडेंट

पवन शुक्‍ल, सिलीगुड़ी/इंफाल

भारत के जांबाज जवान अपनी आन-बान शान और मां भारती की रक्षा के लिए सदैव शहादत देते रहते हैं। लेकिन कैप्‍टन बिक्रम का नाम उन जांबाज शहीदों में आता है जो देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुती हंसते-हंसते शहीद हो गए। उनका कहना और आज के दौर के ये गीत ‘ए मेरी ज़मीं अफसोस नहीं जो तेरे लिए सौ दर्द सहे महफूज रहे तेरी आन सदा चाहे जान ये मेरी रहे न रहे’  पूरी तरह से सटीक है। भारत की दुर्गम पहाडों में पाक की नापाक कोशिश की मुंह तोड जवाब देकर भारत मां की रक्षा के लिए शहीद हो गए। उन्‍ही शहीदों को याद कर असम राइफल ने मणिपुर के तोंमलांग में विजय दिवस के रूप में मनाया गया। इस युद्ध्‍ के दौरान इस जिले के पांच शहीदों ने भारत की रक्षा के लिए अपने प्रणों की आहुति दी थी। मालूम हो कि द्रास और कारगिल के बर्फीले पहाड़ों पर कारगिल युद्ध लड़ा गया था।  जो आज हर भारतीय के दिल और दिमाग में अंकित है। 26 जुलाई 1999 को राष्ट्र को अपनी एक-एक इंच जमीन, नियंत्रण रेखा (एलओसी) के इस तरफ पाकिस्तानी सेना और घुसपैठियों से वापस मिल गई। इस दिन हर साल राष्ट्र ऑपरेशन विजय के दौरान शहीद हुए वीरों को श्रद्धांजलि देता है। और युवाओं में देशभक्ति की भावना को पुनर्जीवित करने, फिर से जगाने और जगाने के लिए भी। ये दिल मांगे मोर के रूप में कैप्टन विक्रम बत्रा की छवि और नारा हर भारतीय के दिमाग और दिल में अंकित है।  शहीद वीरों को श्रद्धांजलि देने के लिए, 22 सेक्टर/आईजीएआर (ई) के तत्वावधान में 44 असम राइफल्स ने तामेंगलोंग में एक स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। कोविड प्रतिबंध केवल नागरिक समाज के कुछ चुनिंदा लोग ही समारोह में शामिल हो सकते थे। कमांडेंट ने यूनिट का नेतृत्व करते हुए मणिपुर राज्य के पांच शहीदों सहित शहीद हुए राष्ट्रीय नायकों को श्रद्धांजलि दी। वहीं भारतीय सेना/असम राइफल्स के साथ शांति, समृद्धि और खुशी का संदेश फैलाने के लिए यूनिट द्वारा एक मोबाइल झंडा यात्रा (झंडा रैली) का आयोजन किया गया। यूनिट राइफल महिलाओं ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। राष्ट्रीय ध्वज को लेकर रैली शहर की विभिन्न सड़कों और गलियों से होकर गुजरी। भारत माता की जय के नारों के बीच 44 असम राइफल्स के कमांडेंट ने इस रैली को झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने ज़ेलियाड क्षेत्र के युवाओं से बड़े सपने देखने, बड़ा सोचने और राष्ट्र निर्माण में रचनात्मक योगदान देने का आह्वान किया। ऐसे नेता बनो जो पीटे हुए रास्ते पर न चले, बल्कि अपना रास्ता खुद बनाओ और दूसरों को नेक रास्ते पर चलने दो। यह कहना गलत नहीं होगा कि युद्ध कभी अच्छा नहीं होता। इससे दोनों पक्षों को बड़ा नुकसान होता है, हजारों सैनिक शहीद हो जाते हैं। हालाँकि, भारत एक शांतिप्रिय देश है जो युद्ध में विश्वास नहीं करता है। भारतीय सेना हमेशा विदेशी ताकतों से देश की रक्षा करती है, मातृभूमि के लिए बलिदान करती है और भारतीयों को गौरवान्वित करती है।

शाम को यूनिट बैंड ने राष्ट्रीय भावनाओं को हवा में भरते हुए मंत्रमुग्ध कर देने वाली धुनें बजाईं। जीत की खुशी को साझा करते हुए यूनिट ने पूरे तामेंगलोंग जिले और केपीआई जिले के टी वाइचुंग सब डिवीजन में इसी तरह की गतिविधियों का आयोजन किया। इस अवसर पर यूनिट मेडिकल स्टाफ द्वारा तामेंगलोंग शहर की नागरिक आबादी के लिए कोविड टीकाकरण अभियान का भी आयोजन किया गया।