रोशनी होगी चिरागों को जलाए रखना...

2022 तक बॉर्डर फेंसिंग में कोई गैप नहीं रहेगा: अमित शाह

बीएसएफ के 18वें अलंकरण समारोह त्रिपुरा को मिला दो अवार्ड

"सीमा सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा है, और हमारे सामने कई चुनौतियां हैं। मुझे अपने अर्धसैनिक बलों पर पूरा भरोसा है। सीमा पर घुसपैठ, मानव तस्करी, गौ तस्करी, हथियारों की तस्करी, ड्रोन जैसी गंभीर चुनौतियां हैं। लेकिन मुझे इस देश के पैरामिलिट्री फोर्स पर पूरा विश्वास है कि वे सभी चुनौतियों को पार कर सीमा सुरक्षा को सुनिश्चित करेंगे." अमित शाह

पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी/नई दिल्‍ली/ अगरतल्‍ला

इतनी सी बात हवाओं को बताए रखना

रोशनी होगी चिरागों को जलाए रखना,

लहू देकर की है जिसकी हिफाजत हमने

ऐसे तिरंगे को हमेशा अपने दिल में बसाए रखना।। यह चार लाइनें शहीद हुए व देश की सुरक्षा में रहने वालों देश के दोनों जवानों पर सटीक है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सेकंड-इन-कमांड दीपक कुमार मंडल जिन्होंने त्रिपुरा की सीमा चौकी (बीओपी) बेलारडेप्पा के पास तस्करों से लड़ते हुए देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देते हुए बल की बेहतरीन परंपरा में अपना जीवन कुर्बान कर दिया। स्‍थान नई दिल्‍ली का विज्ञान भवन में बीएसएफ के 18वें अलंकरण समारोह में दीपक कुमार मंडल को मणरणोंपरांत पुलिस मेडल का सम्मानित किया गया। तो सराहनीय सेवा के लिए त्रिपुरा फ्रंटियार के पानीसागर सेक्‍टर के डीआईजी राजीव दुआ को भी पुलिस मेडल से सम्मानित किए गए । वतन की सीमाओं की रखवाली करने के दौरान  वतन पर अपने प्राणों को न्यौछावर करने वालों जवानों व अधिकारियों के लिए 18वें अलंकरण समारोह में थोड़े गम और थोड़ी खुशी को लेकर देश की रक्षा के लिए फिर अपने जज्बे को बरकारार रखा। एक तरफ जहां अपने प्राणों को देश सेवा में समर्पित करने वाले वीर सपूतों का नाम आने से माहौल थोड़ा गमगीन हो जाता था। तो वहीं दूसरी ओर देश को बेहतर सेवा देने वाले जवानों के नाम का जैसे उल्लेख होता तो तालियों की गूंज से देश की सीमाओं को सुरक्षित होने के संकेत साफ दिख रहा था। विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में, बीएसएफ के वीर जवानों को पदक से भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने सम्मानित किया। बल के कुल 23 सदस्यों को पदकों से अलंकृत किया गया। जिसमें 12 सदस्यों को पुलिस पदक (पीएमजी) और 11 सदस्यों को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक (पीएमएमएस) से सम्मानित किया गया।

समारोह को संबोधित करते हुए केन्‍द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बलिदानियों को नमन करते हुए कहा कि, भारत के अब तक जितने भी क्षेत्र बिना फेंसिंग के बॉर्डर हैं वहां  2022 तक कोई गैप नहीं रहेगा, क्‍योकि इस गैप से देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं होती। श्री शाह ने कहा, "मैं उन लोगों को सलाम करता हूं जिन्होंने देश की सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। आज पूरा देश जानता है कि आप सजगता के साथ देश की सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं। इसी कारण आज देश में लोकतंत्र के अपनाते हुए विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। सीमा सुरक्षा के काम में लगे बीएसएफ के साथ सभी पैरामिलिट्री फोर्स के कारण आज भारत विश्व के नक्शे पर अपना गौरवमय स्थान दर्ज करा रहा है। गृहमंत्री ने कहा देश की सीमाओं पर घुसपैठ, मानव तस्करी, गो तस्करी, हथियारों की तस्करी, ड्रोन जैसी सभी चुनौतियां है। लेकिन मुझे पैरामिलिट्री फोर्स पर पूरा विश्वास है कि वे सभी चुनौतियों को पार कर सीमा सुरक्षा को सुनिश्चित करा रहे हैं। गृहमंत्री ने प्रधानमंत्री की सराहना करते हुए कहा कि देश को रक्षा नीति की जो जरूरत थी जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी है। हमने अपनी चुनौतियों को देखकर हमने अपने आप को तैयार किया है। वही टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सीमाओं की सुरक्षा को और सशक्त करना होगा। उन्होंने जोधपुर का जिक्र भी किया, जहां तकनीक का इस्तेमाल रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है। 

इस समारोह में नित्यानंद राय, MoS (गृह), अजय कुमार मिश्रा, MoS (गृह), अजय कुमार भल्ला, गृह सचिव, BSF के सेवानिवृत्त DSG / ISG, CAPFS के DSG, सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के सेवारत अधिकारी मौजूद थे। यह अलंकरण समारोह बीएसएफ के पहले महानिदेशक पद्म विभूषण के एफ रुस्तमजी के सम्मान बीएसएफ 2003 से उनके जन्मदिन के अवसर समारोह का आयोजन कर रहा है। लेकिन इस साल, कोरोना महामारी के कारण, अलंकरण समारोह को 17 जुलाई 2021 को पुनर्निर्धारित किया गया था। इस अवसर पर अतिथि बीएसएफ के  डीजी बीएसएफ राकेश अस्थाना ने कर्तव्य की वेदी पर मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले बल के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। रणनीति, बुनियादी ढांचे, हथियार और प्रशिक्षण के मामले में खुद को तैयार करने में बल के निरंतर प्रयास पर जोर देते हुए  डीजी बीएसएफ ने कहा कि विशेष रूप से राष्ट्र विरोधी तत्वों के नापाक मंसूबों को विफल करते हुए सीमा के प्रहरी द्वारा विभिन्न परिचालन उपलब्धियों का उल्लेख किया।

अब हम तो सफर करतें हैं.....

 मालूम हो कि अक्टूबर 2017 में दीपक कुमार मंडल सेकेंड इन कमान 145 बीएन बीएसएफ के कार्यवाहक कमांडेंट के कर्तव्यों का पालन कर रहे थे। 15 अक्टूबर 2017 की रात के निगरानी का जायजा लेने के लिए बीओपी बेलारडेप्पा (वर्तमान दीपक बीओपी) में मौजूद थे। उसी दौरान आधी रात को उन्हें सोनमुरा के पास बीएसएफ के वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना मिली। वह तुरंत दुर्घटनास्थल के लिए निकल गया, लेकिन रास्ते में उसने देखा कि 25-30 तस्कर तस्करी के लिए सोनमुरा की ओर सड़क पर 15-20 मवेशियों के झुंड को ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। वह गार्ड और ड्राइवर के साथ तुरंत वाहन से उतर गए और तस्करों को मवेशियों की तस्करी रोकने की चुनौती दी। तस्करों ने पथराव शुरू कर दिया और बीएसएफ पार्टी को घेर लिया। जब दीपक कुमार मंडल ने महसूस किया कि तस्‍करों की अधिक संख्या में हैं। बावजूद इसके वह खुद उन तस्करों के खिलाफ मजबूती से खड़े हुए। जबकि तस्‍करों के पास पत्थर/ईंटें, माचे (दाह) और अन्य तेज धार वाले हथियार थे।

तभी अचानक तस्करों के एक वाहन ने दीपक को टक्कर मारने की कोशिश की और वह बाल-बाल बच गया। इसके बाद, तस्करों ने फिर से दीपक कुमार मंडल को पीछे से एक अन्य वाहन से टक्कर मार दी।  जिससे उसके सिर और शरीर पर कई गंभीर चोटें आईं। इसके बाद, तस्कर मौके से भाग गए और अधिकारी को तुरंत आईएलएस अस्पताल अगरतला ले जाया गया। जहां से बेहतर इलाज के लिए हवाई मार्ग से कोलकाता ले जाया गया। जहां उन्हे बेहतर मेडिकल सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनका 16 अक्टूबर 2017 से 20 अक्टूबर 2017 तक इलाज चल रहा था। 20 अक्टूबर 2017 को सुबह 11.35 बजे शहादत प्राप्त की। वहीं दीपक कुमार मंडल ने तस्करों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपने कर्तव्यों और राष्ट्र के प्रति निष्ठा के प्रति देश के लिए शहादत दी। वहीं 5 जनवरी, 2019 को, बेलारडेप्पा बीओपी का नाम बदलकर बीओपी दीपक कर दिया गया था। अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में महानिरीक्षक एके यादव द्वारा दीपक कुमार मंडल की एक प्रतिमा का अनावरण भी किया गया था।