सेवके ब्रिज के पास नया पुल 2023-24 के एनआईपी में शामिल : बीके सिंह
चिकननेक की जीवन रेखा को मिलेगा नया जीवन, विकास को रफ्तार : राजू बिष्ट
कनेक्टवीट ठीक होने नए पुल से डवार्स के पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
‘’दार्जिलिंग सांसद राजू बिष्ट, अलिपुर सांसद जान बारला व जलपाईगुड़ी सांसद जयंत राय ने भी संसद में विकल्प पुल की मांग उठाई थी। हलांकि उसी दौरान दार्जिलिंग सांसद राजू बिष्ट ने केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकता नया पुल बनाने की जोरदार पहल की थी। श्री गडकरी ने वैकल्पिक पुल का आश्वासन दिया था। अब जनरल बीके सिंह के 11 जून 21 के पत्र से लग रहा कि पूर्वोत्तर के चिकननेक की समस्या और राष्ट्रीय सुराक्षा के लिए इस पुल के निर्माण का रास्ता साफ दिख रहा है।वहीं नए पुल के निर्माण के बाद बाध पुल (कोरिनेशन ब्रिज व सेवक ब्रिज) अवागन के लिए नहीं बल्कि पर्यटन के रूप में रह जाएगा‘’
पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी
चिकननेक अर्थात डुवार्स की खूबसूरत वादियों, कालिंगपोग, सिक्किम और पडोसी देश भूटान के अलावा पूर्वोत्तर को जोड़ने वाले बाध पुल (कोरिनेशन ब्रिज) अब शायद पर्यटन का केन्द्र बनकर रहने की संभावना प्रबल हो गई है। केन्द्रीय सड़क परिवहन राज्यमंत्री जनरल बीके सिंह के पत्र से साफ जाहिर होता है कि इस मार्ग पर नए पुल के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। अब इस नए पुल के निर्माण के लिए योजना 2023-24 के एनआईपी में शामिल होने के बाद डीपीआर बानाने की प्रक्रिया को मूर्त रूप दिया जा सकता है। नए पुल के निर्माण से जहां पूर्वोत्तर के विकास को रफ्तार मिलेगा, वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से अहम साबित होगा। करीब 84 साल पुराने इस पुल का निर्माण भारत के गुलामी के समय में अंग्रजों ने बनवाया था। इस पुल को 1937 में किंग जॉर्ज और महारानी एलिजाबेथ के राज्याभिषेक के उपलक्ष्य में रखा गया था। 1941 में इस बाध पुल के निर्माण में 6 लाख रुपये की लागत से पूरा किया गया था। पुल की आधारशिला 1937 में बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल जॉन एंडरसन ने रखी थी। हलांकि अब इस पुल से भारी वाहनों के प्रवेश से दुर्घटना की खतरा प्रबल है। इसलिए स्थानीय सांसदों ने इस पुल पर नए वैकल्पिक पुल की निर्माण की मांग की जो अब केन्द्र के डीपीआर में शामिल होने जा रहा है।
इस संबंध में दार्जिलिंग सांसद, सह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट का प्रयास सराहनीय माना जा रहा है। श्री बिष्ट ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि 17 मार्च 2020 को मैंने संसद के नियम 377 के तहत दार्जिलिंग के सेवक बाजार और जलपाईगुड़ी में एलेनबाड़ी को जोड़ने वाले तीस्ता नदी पर कोरोनेशन ब्रिज (बाधपुल) के विकल्प के निर्माण में देरी के संबंध में मामला उठाया था। श्री बिष्ट ने बताया कि मैंने सदन को सूचित किया था, कि कोरोनेशन ब्रिज दार्जिलिंग, कलिम्पोंग, सिलीगुड़ी और सिक्किम से डुआर्स की यात्रा करने वाले लोगों के लिए जीवन रेखा है। पुल के दोनों छोर पर मौजूदा पुल के मुख्य स्तंभों मानव जीवन के लिए संभावित जोखिमों के लिए सदन का ध्यान आकर्षित किया। तीस्ता तट के किनारे बह जाने के कगार पर हैं और किसी भारी दुर्घटना को दावत दे रहा है। उन्होंने बताया कि मैंने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से वैकल्पिक पुल के निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाने का अनुरोध किया था। इस संबंध में, मुझे केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री, जनरल (डॉ) विजय कुमार सिंह जी से प्राप्त अपडेट को साझा करते हुए खुशी हो रही है। आज मुझे सूचित किया जाता है कि नए पुल के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) प्रगति में है । वहीं जनरल वीके सिंह ने कहा है कि "रेल मंत्रालय ने स्वीकृत में कुछ संशोधनों के साथ नए पुल के संपर्क मार्ग के निर्माण के लिए रेल राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) को स्थानांतरित करने पर सहमति व्यक्त की।" उन्होंने आगे कहा है कि "इस परियोजना को 2023-24 के लिए राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन (एनआईपी) कार्यक्रम के तहत शामिल किया गया है।"
श्री बिष्ट ने बताया कि कोरोनेशन ब्रिज दार्जिलिंग, कलिम्पोंग, सिलीगुड़ी, सिक्किम के महत्वपूर्ण 'चिकन नेक' क्षेत्र को जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, कूच बिहार और शेष उत्तर पूर्व से जोड़ता है। इसे 1937 में बनाया गया था। यह देखते हुए कि यह क्षेत्र चीन, भूटान और बांग्लादेश की सीमा में है, यह पुल है हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका उपयोग नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए किया जाता है। वहीं वैकल्पिक पुल के निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मैं केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और रेल मंत्रालय का आभारी हूं। मैं दार्जिलिंग पहाड़ियों, तराई और डुआर्स क्षेत्र के बेहतर संपर्क और निरंतर विकास को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद देता हूं। मालूम हो कि कोरोनेशन ब्रिज, जिसे भारत के पश्चिम बंगाल में सेवक ब्रिज के रूप में भी जाना जाता है, तीस्ता नदी में फैला है, जो दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों को जोड़ता है। पुल राष्ट्रीय राजमार्ग 17 [एनएच 31 (पुराना)] का एक हिस्सा है। स्थानीय लोग पुल को बाघपुल कहते हैं, जिसका अर्थ है बाघ का पुल, क्योंकि पुल के एक प्रवेश द्वार पर दो बाघ की मूर्तियाँ (बाग का अर्थ वास्तव में बाघ) है। दार्जिलिंग डिवीजन लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अंतिम ब्रिटिश कार्यकारी अभियंता जॉन चेम्बर्स ने पुल के डिजाइन, ड्राइंग और योजना को अंजाम दिया। बंबई के मेसर्स जे.सी. गैमन ठेकेदार थे। पुल को प्रबलित कंक्रीट प्रणाली पर बनाया गया था। चूंकि गहराई और पानी की धारा के कारण तीस्ता नदी के तल से समर्थन प्राप्त करना संभव नहीं था। पूरे पुल को एक निश्चित मेहराब द्वारा तैयार किया गया था। जिसके दो छोर नदी के दोनों ओर चट्टान की परतों पर तय किए गए थे। इस बीच, अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी के लोकसभा सांसदों जॉन बारला और जयंत राय ने भी इस मुद्दे को उठाया है और मांग की है कि एक वैकल्पिक पुल बनाया जाना चाहिए। दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्ता ने इस संबंध में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा कि एक बार नया पुल बन जाने से लोगों का काफी समय और पैसा बचेगा। पता चला है कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी वैकल्पिक पुल के लिए हरी झंडी दे दी है. हालांकि समस्या यह है कि जिस क्षेत्र में पुल बनना है वह रेलवे का है। इस बीच, अगर राज्य और केंद्र सरकारें काम नहीं करती हैं और इस समस्या का समाधान नहीं करती हैं, तो कोरोनेशन ब्रिज, जो पूर्वी भारत और पूर्वोत्तर के बीच मुख्य संपर्क है, उनके बीच एक डिस्कनेक्ट का कारण बन सकता है।