लोक संस्कृति के सवंर्धन सराहनीय कदम : रवि किशन

भारतीय संस्कृति जल के समान सरल है,सहज है : अमीरचंद

दस दिवसीय लोकगायन कार्यशाला का समापन

आकाश शुक्‍ल, गोरखपुर (उप्र)

संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा शारदा संगीतालय के स्थानीय सहयोग से आयोजित पारंपरिक अवधी भोजपुरी कार्यशाला बतौर निदेशक श्री राकेश श्रीवास्तव जी के निर्देशन में सम्पन्न हुआ। यह कार्यशाला 1 जुलाई से 10जुलाई तक होनी सुनिश्चित थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गोरखपुर के माननीय सांसद रविकिशन जी और बतौर विशिष्ट अतिथि अमीरचंद जी कार्यक्रम के समापन समारोह में उपस्थित रहे। संस्कृति विभाग के सदस्य और कार्यशाला के निर्देशक राकेश श्रीवास्तव जी ने बताया कि लोक संस्कृति के संवर्धन और संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश की संस्कृति विभाग प्रतिबद्ध है। भारतीय सांस्कृतिक परंपरा का निर्वहन करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यशाला के प्रतिभागी और लोक कलाकार निर्देश प्रजापति जी ने गायत्री मंत्र एवं गुरु मंत्र का सुंदर गायन कर किया। तदुपरांत बतौर मुख्य अतिथि श्री रविकिशन जी ने कहा कि इस कार्यक्रम से जुड़कर मुझे बहुत अच्छा लगा, क्योंकि मैं स्वयं एक कलाकार हूं और इसी वजह से आज मैं माननीय मुख्यमंत्री महराज जी के आशीर्वाद से सांसद हूं। मैं आगामी दिनों में दो-तीन दिवसीय संगीत नाट्य उत्सव मानने की सोच रहा हूं।मैं आप सभी को निमंत्रण देता हूं कि आप साथ आइए और जुड़िए।। माननीय सांसद श्री रविकिशन जी ने कहा कि  लोक संस्कृति के सवंर्धन में  राकेश जी ऐतिहासिक कार्य कर रहे है इस विषय मे हमे एकजुटता दिखाने की जरूरत है। विशिष्ट अतिथि अमीरचंद जी आशीर्वचन देते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति जल के समान सरल है,सहज है। मैंने देखा कि एक आठ साल के बच्चे ने कजरी गाया,लखनऊ के 85 वर्ष की उमा त्रिगुनायक ने लचारी   गाया, देवरिया के निर्देश प्रजापति जी ने गुरु वंदन प्रस्तुत किया, मैंने आज सुबह सुबह भारतीय संस्कृति का और लोक में रची-बसी जो आत्मा है उसका दिग्दर्शन कर लिया। यह प्रस्तुति यूंही नहीं है, इसके पीछे नौ दिवस का अनुष्ठान किया गया एक शिल्पकार के समान श्री राकेश श्रीवास्तव जी ने सराहा , तराशा,तब जाकर आज यह लोक संस्कृति जीवंत हो पाई है। कलाकार और साहित्यकार उस बादल की तरह होता है जो प्रकृति रूपी सागर से मीठे जल लेकर आता है और अपने सांस्कृतिक वर्षा से पूरे  समाज को ओत-प्रोत कर देता है। हमारी सांस्कृतिक विरासत धरी की धरी रह जाती अगर ये हमारे नवोदित कलाकार न होते। ईश्वर कृपा से लोक संस्कृति की विरासत को लेकर इन युवाओं में जीवंतता बनी रही। कार्यशाला में देवीगीत,कजरी,खिलौना,लाचारी,सोहर,नकटा,झूमर आदि का प्रशिक्षण दिया गया।

इस उद्बोधन के बाद कार्यशाला के निदेशक राकेश श्रीवास्तव ने रविकिशन और अमीरचंद के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों ने दस दिनों में सीखे लोकगीतों का गायन किया और लोक-संस्कृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई इस वर्कशाप में त्रिनिदाद के देवाशीष रामदत्त, थाईलैंड से कीर्तन त्रिपाठी, उन्नाव से पूनम सिंह नेगी,सीतापुर से सुमन आर्या,कानपुर से कल्पना  सक्सेना,गाज़ियाबाद से रेणुबाला सिंह, पीलीभीत से दिनेश कुमार, देवरिया से अंजना तिवारी,महराजगंज से मोनू वर्मा गोरखपुर से सलोनी मिश्रा,अवंतिका दुबे, सहित कुल 72 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में संस्कृति विभाग के उपनिदेशक प्रभाकर जौहरी एव कमलेश पाठक भी उपस्थित थे।