गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागूं पाय...

आईएमए के पासिंग आउट परेड में शुरू हई नई परंपरा

कोरोना संकट में माता-पिता का फर्ज निभाए गुरू व उनकी पत्‍नी

दो गज की दूरी में देश को मिली एक और इतराने की वजह

वर्दी पर जब सजे सितारे, प्रशिक्षक हुए माता-पिता हमारे

पवन शुक्‍ल : कबीर के इस दोहे का अर्थ, आज 21वीं सदी में भी भारत में मानी जा रही है। आज देहरादून का आइएमए के ऐतिहासिक चेटवुड भवन ड्रिल स्क्वायर ने एक नई इबादत लिखी। पासिंग आउट परेड की परंपरा कैडेट को माता-पिता बैज लगाते हैं। परंतु कोरोना संकट ने आज आईएमए की पुरानी परंपरा पर रोक लगाया, तो भारत ने अपनी सनातनी परंपरा को फिर अपनाया। इस परेड के बाद कबीर दास का दोहा भी कोरोना को मात दे, परंपरा को जगा दिया। ‘’गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपनो,जिन गोविन्द दियो बताय’’ कहने का भाव यह है कि जब आपके समक्ष गुरु और ईश्वर दोनों विधमान हो तो पहले गुरु के चरणों में अपना शीश झुकाना चाहिए, क्योंकि गुरु ने ही हमें भगवान के पास पहुँचने का ज्ञान प्रदान किया है। (वर्तमान में देश की सुरक्षा और फर्ज का ज्ञान) इसलिए आज माता-पिता की कमी को जांबाज कैडेट ट्रेनर अफसर और उनकी पत्‍नी ने निभाते हुए परंपरा को पूरा किया। मालूम हो कि परेड के बाद आयोजित पीपिंग व ओथ  सेरेमनी के बाद पासिंग आउट बैच के 423 जेंटलमैन कैडेट बतौर लेफ्टिनेंट देश-विदेश की सेना का अभिन्न अंग बनगए । इनमें 333 युवा सैन्य अधिकारी भारतीय थलसेना को मिले,  जबकि 90 युवा सैन्य अधिकारी नौ मित्र देशों अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, भूटान, मॉरीशस, मालद्वीव, फिजी, पपुआ न्यू गिनी, श्रीलंका व वियतनाम की सेना का अभिन्न अंग बनेंगे। आज की परेड के बाद देहरादून स्थित प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी के नाम देश-विदेश की सेना को 62 हजार 562 युवा सैन्य अधिकारी देने का गौरव जुड़ गया, इनमें मित्र देशों को मिले 2503 सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं।  मालूम हो कि कोरोना संकट के कारण इन जांबाज कैडेटों को कई तरह से सुरक्षा को लेकर ट्रेनिंग में बदलाव होते रहे और जांबजों ने भी पूरी तरह से निभाते हुए अपने को बेहतर कैडेट साबित कर दिया। हलांकि दो गज की दूरी के साथ शुरू हुई समारोह में कैडेटों के माता-पिता को नहीं बुलाया गया। हलांकि आइएमए ने कैडेटों के माता-पिता को नहीं बुलाने का कसक तो था, लेकिन इसकी कमी को पूरा करने के लिए आइएमए ने यू-ट्यूब के माध्‍यम से सजीव प्रसारण किया। लेकिन पंरपरा का निर्वहन तो होना था, इस परंपरा को पूरा करने के लिए आइएमए ने कैडेटों के प्रशिक्षक अफसर व उनकी पत्नियों ने माता-पिता का फर्ज निभाया।

आसमान में छाए काले बादल, मेघ ने दिया आशीर्वाद 
अनुज ने बताया कि पासिंग आउट परेड के पल बेहद खास रहा, आज माता-पिता की उपस्थित तो नहीं थे, पर हमारे प्रशिक्षक और उनका परिवार हमारे माता-पिता का फर्ज निभाया। दूबे बताया, "आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के सामने हमारी परेड पूरी हुई और करीब 8  बजे उनका भाषण शुरू हुआ। जैसे ही उन्होंने हमें एड्रेस करना शुरू किया, सुबह से काले बादल छा गया और मेघ बरसने लगे। हम सब खुश थे, लग रहा था जैसे भगवान बारिश करके हमें एक नए जीवन में प्रवेश से पहले आशीर्वाद दे रहे थे। हम सब बारिश में भीगते हुए उन्हें सुनते रहे। इसके बाद हमने अंतिम पग रखा और पास आउट हो गए।"