असम राइफल्‍स ने र्वचुअल वयोवृद्ध संपर्क सम्मेलन आयोजित

मणिपुर के तामेंगलोंग जिले के लोगों से किया गया संपर्क

न्‍यूज भारत, इंफाल : आज पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है। मणिपुर के दूर दराज के क्षेत्रों में बसे पूर्व सैनिक के परिवारों और बुर्जुग लोगों से अब एक मात्र साधन आन लाइन संपर्क रह गया है। वहीं लंबे समय तक चलने वाली कोरोना महामारी ने कार्य, शिक्षा, स्वास्थ्य और संचार के लिए डिजिटल तकनीकों के महत्व को प्रदर्शित किया। वहीं महामारी ने तकनीकी की रफ्तार को तेज कर दिया है। जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म का विस्तार और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे संबंधित तकनीकी विस्‍तार, बड़े डेटा का उपयोग शामिल है।

इसी क्रम में भारतीय सेना और असम राइफल्स ने तामेंगलोंग जिले के सुदूर और दूर-दराज के क्षेत्रों के वेटरन्स भी इस वैश्विक महामारी से प्रभावित हुए हैं। इन जवानों के परिवारों को यूआरसी या सैन्य डॉक्टरों के पास जाने का कोई मौका नहीं मिल रहा है और उन्‍हें अपने घरों तक सीमित कर दिया गया है। इसलिए कोविड प्रतिबंधों के बीच 44 असम राइफल्स ने मुख्यालय 22 सेक्टर एआर/आईजीएआर (ई) के तत्वावधान में तामेंगलोंग जिले के इन शहीद जवानों के वीर नारियों के लिए एक वर्चुअल वेटरन संपर्क सम्मेलन का आयोजन किया है। वहीं केएम करियप्पा की पुण्यतिथि पर यूनिट ने 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनकी वीरता और नेतृत्व को याद किया। यूनिट ने अपने प्रयासों में वीडियो कॉल पर दिग्गजों के पास पहुंचा और उनकी हाल चाल जानने की कोशिश की। यह शहीद के परिवारों के लिए पहली बार एक अनूठा अनुभव अभिभूत और प्रेरणादायक था। वहीं पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए इकाई संकल्प से अवगत कराया गया और उन्हें आश्वासन दिया गया कि उनके बहुमूल्य सुझावों का स्वागत है। जबकि पूर्व सैनिकों और उनके परिवार को यूनिट डॉक्टरों, नर्सों और पैरा मेडिकल स्टाफ द्वारा तत्काल चिकित्सा सलाह प्रदान करके टेलीमेडिसिन सुविधा प्रदान की गई। इस आयोजन ने यूनिट को न केवल वीर जवानों के परिवार तक पहुंचने का मौका दिया, बल्कि उनके और उनके परिवारों के साथ उनके जीवन को प्रभावित करने वाली एक महत्वपूर्ण बातचीत भी की। "जब रोशनी नहीं होगी, तो परिवार आपको घर ले जाएगा, जब आप अकेला महसूस करते हैं, तो एक परिवार होता है जो आपको अपना बुलाता है।"।