वीरगति को प्राप्त करने वाले जवानों को किया गया नमन
न्यूज भारत, सिलीगुडी : भारत के साथ पास्तिान 1971 में हुए युद्ध के दौरान बीएसएफ के 125 जवान वीरगति को प्राप्त हुए और 392 जवान घायल हुए तथा 133 लापता हुए। इस युद्ध में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 23 बटालियनों ने इस युद्ध में भाग लिया था । जिसमें से 12 अधिकारियों एवं जवानों को इस युद्ध का हीरो घोषित किया गया था। 1971 के युद्ध में अतुलनीय योगदान व अदम्य वीरता के लिए सीमा सुरक्षा बल को 02 पदमभूषण, 02 पद्मश्री, 01 परमविशिष्ट सेवा मेडल, 01 महावीर चक्र, 01 अतिविशिष्ट सेवा मेडल, 11 वीर चक्र, 46 सेना मेडल, 05 विशिष्ट सेवा मेडल, 44 मेंशन इन डिस्पैच तथा 63 अन्य मेडलों से सम्मानित किया गया था। सीमा सुरक्षा बल द्वारा 1971 की लड़ाई में प्रथम पंक्ति में रहकर युद्ध का सामना करने तथा युद्ध में भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सफलता प्राप्ति में शूरवीरता एवं कर्तव्यनिष्ठा के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी सीमा सुरक्षा बल का आभार व्यक्त किया था। उक्त बातें बीएसएफ कदमतला के मुख्यालय में 71 के युद्ध के स्वार्णिम वर्ष पर विजय मशाल पहुंचने पर भव्य स्वागत समारोह के दौरान बीएसएफ उत्तर बंगाल फ्रंटियर के आई ने सुनील कुमार ने अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम के पश्चात भारतीय सेना की टुकड़ी स्वर्णिम विजय मशाल को लेकर अपने आगे के सफर के लिए रवाना हो गई।
उक्त जानकारी देते हुए उत्तर बंगाल फ्रंटियर के बीएसएफ मुख्य सूचना अधिकारी ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि 1971 के युद्ध के 50 साल पूरे होने पर देश में मनाए जा रहे स्वर्णिम विजय वर्ष के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिनांक 16 दिसंबर, 2020 को दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से स्वर्णिम विजय मशाल को देश के अलग-अलग हिस्सों के लिए रवाना किया था। सन 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर मारत की ऐतिहासिक जीत की प्रतीक स्वर्णिम विजय मशाल शुक्रवार को सीमा सुरक्षा बल के उत्तर बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय के कदमतला स्थित परिसर में पहुंची। स्वर्णिम विजय मशाल लेकर भारतीय सेना के कर्नल आर० छेत्री, उप कमांडर, जी0 आर० टी० ई० कैम्प, ले० कर्नल ऋषिकांत व उनके अन्य साथियों का सीमा सुरक्षा बल के कदमतला परिसर में स्थित सीमा सुरक्षा बल के सीमान्त मुख्यालय में बल के अधिकारियों व जवानों ने भव्य स्वागत किया। 1971 के युद्ध में भारत की जीत के तुरंत बाद, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने सीमा सुरक्षा बल के संस्थापक एफ जे रुस्तमजी को सीमा सुरक्षा बल की उपलब्धियों के बारे में पत्र के माध्यम से लिखा की सीमा की सुरक्षा की पहली पंक्ति के रूप में, सीमा सुरक्षा बल ने जिस तरह से दुश्मन के पहले हमले का सामना किया और भारतीय सेना के साथ मिलकर दुश्मन से जो युद्ध लड़ा उसने हमारी अंतिम सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है उस समय सीमा सुरक्षा बल ने अपनी स्थापना के लगभग छः वर्ष ही पुरे किये थे। यह सर्वविदित है कि सन 1971 की लड़ाई में भारतीय सेना के साथ सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों एवं जवानों ने कंधे से कंधा मिलाकर विजय हासिल करने में अहम भूमिका निभाई थी। सीमा सुरक्षा बल ने बांगलादेश के मुक्तिवाहिनी को इस युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था, साथ ही संघर्ष की रूपरेखा भी तैयार करने में अहम भूमिका अदा की।
आयोजित कार्यक्रम में उत्तर बंगाल फ्रंटियर, सीमा सुरक्षा बल के महानिरीक्षक सुनील कुमार ने विजय मशाल को ग्रहण किया इस दौरान विजय मशाल के आगमन व 1971 के योद्धाओं के सम्मान में सीमा सुरक्षा बल की बैंड पार्टी ने भी अपनी शानदार प्रस्तुती दी। इस मौके पर सुनील कुमार महानिरीक्षक ने 1971 की लड़ाई में भारतीय सशस्त्र बलों और सीमा सुरक्षा बल के योगदान को याद किया और इसमें जान गंवाने वाले योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर 1971 के युद्ध में भाग लेने वाले 14 सीमा सुरक्षा बल के 14 वीर योद्धाओं को सम्मानित किया गया।