दम तोड़ती सड़कें, निर्माण में देरी से एंबुलेंसों के मरीज पर मंडराती है मौतः कल्याण चक्रवर्ती
काम में लापरवही से सड़क निर्माण में मिली धनराशि भी वापसी खातरा
पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जस्टीस्ट बिंदल व अनिरूद्ध राय ने सामाजिक कार्यकता देवेश साहा की जनहित याचिका की सुनवाइ करते हुए अपने एक आदेश में कहा है कि किसी भी हाल में राष्ट्रीय सड़कों के विस्तार व निमार्ण को बाधित नहीं किया जा सकता है। सामाजिक कार्यकता देवेश साहा ने 2016 में राष्ट्रीय सड़कों के विस्तार को लेकर शीर्ष अदालत में जनहित याचिका दायर की और 23 दिसंबर को उनका फैसला सामने आया। हलांकि 2016 से लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में इसकी सुनवाइ कइ चरणों में कर चुका है। इसके लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक स्पेशल आफिसर अनिन्दो लहड़ी को बनाया है।
इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के वरीष्ट अधिवक्ता कल्याण कुमार चक्रवर्ती ने कहा कि पूर्व जस्टिस देवेश साहा की जनहित याचिका के बाद इस मामले की सुनवाई कई चरणों में हुई थी। वहीं 23 दिसंबर को न्यायमूर्ति संजीव रॉय की पीठ ने जनहित मामले में फैसला सुनाया। उच्च न्ययालय ने प्रदेश में काबिज सत्तारूढ़ सरकार से कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार को किसी भी तरह से बाधित नहीं किया जा सकता है। यदि इस मामले में जमींदारों की कोई शिकायत है, तो उन्हें जिला प्रशासन को सूचित करना चाहिए। उन्होंने उत्तर 24 परगना और उत्तरी दिनाजपुर के जिलाधिकारियों को बारासात और जलपाईगुड़ी राष्ट्रीय सड़कों के विस्तार के लिए भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश भी दिए। वहीं उन जिलों के पुलिस अधीक्षकों से राष्ट्रीय राजमार्ग पर काम कर रहे अधिकारियों व कर्मचारियों को उचित सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है।
श्री चक्रवर्ती ने कहा कि बरासात से बारबिशा तक 780 किलोमीटर लंबी सड़क के चौड़ीकरण का काम 2001 तक पूरा होना था। लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हुआ है। वहीं चार-लेन के विस्तार पूरा होने से असम और पड़ोसी देश भूटान, नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के साथ बेहतर व्यापार की सुविधा होगी। जबकि इसके निर्माण से जहां व्यवसाय को रफ्तार मिलेगा वहीं वैकल्पिक रोजगार प्रणालियों का विकास बेहतर हो सकता है। लेकिन राज्य सरकार के कारण अलीपुरद्वार के सालासाबरी से फालाकटा तक लगभग 49 किलोमीटर सड़क पर काम अब भी बाधित हो रहा है। अधिवक्ता ने बताया कि न्यायालय ने खासतौर पर सालसबारी, चपरपर और चेंगपारा मौजा में कुछ समस्याएं हैं जिंहे अविलंब दूर करने को कहा है। उन्होंने बताया कि स्थानीय प्रशासन के सहयोग के बिना फोर लेन पर काम करना संभव नहीं होगा। जिसके कारण कूचबिहार जिले में भी यही समस्या सामने आई है। वकील कल्याणकुमार चक्रवर्ती ने आगे कहा कि फैसले में जिला प्रशासन की लापरवाही का भी उल्लेख किया गया है। सालसबारी से सैनापुर तक सड़क का काम ठप है। जमींदारों को अधिकांश भूमि का निश्चित मूल्य प्राप्त हुआ है। बावजूद इसके सालासबारी से फलाकाटा तक 49 किलोमीटर सड़क के मामले निर्माण में देरी का कारण सरकार के रिकॉर्ड बताते हैं कि भूमि का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन वास्तव में कोई भी भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने फैसले में लापरवाही का आरोप लगाया था। इस बीच, भूमि और भूमि सुधार विभाग के प्रणव कुमार घोष टिप्पणी के लिए नहीं पहुंच सके। अब, शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद, स्थानिय प्रशासन इस बात पर नज़र रखेगा कि राज्य प्रशासन राष्ट्रीय सड़कों के विस्तार के लिए भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया में कितना सक्रिय है। कलकत्ता हाईकोर्ट के वरीष्ट अधिवक्ता श्री कल्याण चक्रवर्ती ने बताया कि एक जहां बेहतर हाइवे के निर्माण से व्यापार व रोजगार को रफ्तार मिलेगा। वहीं पूर्वोत्तर के चिकननेक के नाम से पूरी दुनियां में मशहूर यह क्षेत्र पर्यटन के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास कर सकता है। वहीं सिलीगुड़ी जो ट्रीपल ट्री मतलब टी, ट्री व टूरिज्म, के नाम से जाने वाले इस क्षेत्र को व्यापार व पर्यटन में रफ्तार पकड़ेगा।
अंत में कलकत्ता हाईकोर्ट के वरीष्ट अधिवक्ता श्री चक्रवर्ती ने कहा कि अगर सरकार केन्द्र के द्वारा दी गइ धनराशि करीब 25000 करोड़ से हाइवे के रफ्तार पर निर्माण के रफ्तार पर तेजी नहीं लाएगी तो यह पैसा वापस हो सकाता है। उन्होंने बताया कि सिलीगुड़ी से कोलकाता तक की सड़कों की हालत इतनी खराब है कि आने जाने में इन बदहाल सड़कों पर बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खासकर यह परेशानी सिलीगुड़ी, कूचबिहार, मालादा, उत्तर दिनाजपुर समेत अन्य जगहों जो क्रिटिकल मरीजों को कोलकाता ले जाने में मौत का खतरा बरकरा रहाता है। वहीं बदहाल सड़कों से कोलकाता जाने में मौत खतरा मंडराता रहता है। अगर मरीज कोलकाता पहुंच जाए तो उसकी किस्मत होती है।