यह कैसा विकास जहां नाली से बुझती है प्यास

पेयजल के संकट से जूझ रहा गंगानगर वार्ड 5, गंदी नाली से पानी भरने को हैं मजबूर   

बदले हालात में भी नहीं सुधारा पेयजल संकट, 90 प्रतिशत आबदी निम्न आयवर्ग की  

“जल जीवन मिशन” की हवा निकल रहा सिलीगुड़ी, वार्ड 5 में पेयजल के नालों पर लगती भीड़  

पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी

विकास की अंधी दौड़ ने जहां तालाबों व नहरों, पोखरों को पाटकर आलीशान इमारतों में तब्दील कर दिया है। जिससे पानी के स्रोत तकरीबन बंद होते चले गए। आधुनिकता की इस दौड़ में लोगों ने हैंडपम्प व पम्प का सहारा लेना शुरू कर दिया है। इससे साफ पता चलता है कि ज्यादा से ज्यादा लोग सुविधाभोगी होते जा रहे हैं। जिसके कारण पाताल के कलेजे से उसके जीवन स्रोतों को भी धीरे-धीरे छीनते जा रहे हैं। वहीं शहरों के हालात यह है कि नगर निगम बनने के बाद स्वच्छ पेयजल की जिम्मेदारी उठार्इ है। लिकन पूर्वोत्तर के चिकननेक कहे जाने वाले शहर सिलीगुड़ी के वार्ड पांच की कहानी कुछ और बयां करती है। यहां नगर निगम ने करीब एक दशक पहले पेयजल के लिए लाइन बिछा दी टैक्स भी लेना शुरू कर दिया। बावजूद इसके आज वार्ड पांच गंगानगर, संतोषी नगर व नूतनपाड़ा के लोग आज भी निगम की उदासीनता के कारण गंदे नाले से पेयजल पानी लेने को मजबूर हैं।
प्रगित एक सामाजिक क्रांति” ने उठाता रहता है मामला

  वार्ड 5 के पेयजल की समस्या को लेकर गंगानगर की सामजिक संस्था “प्रगित एक सामाजिक क्रांति” ने इस मसले को प्रशासन, निगम व शोसल सार्इट पर बार बार उठाया परंतु लग रहाहै कि नगर निगम को इस वार्ड की कोर्इ फिक ही नहीं है। वहीं करीब 60 हजार की आबादी वाले इस तीन मुहल्लों में पेयजल का संकट इस कदर है कि लोग गंदे नाले के उपर से पानी लेने को मजबूर हैं। मालूम हो कि गंगानगर, संतोषी नगर व नूतन पाड़ा में करीब 90 प्रतिशत की जनसंख्या निम्न आय वर्ग के लोग रहते हैं। अपनी मजबूरी के कारण लोग घरों में पानी का फिल्टर लगा नहीं सकते जिससे वे गंदी नाली से ही पानी लेना उनकी मजबूरी है। नगर निगम के द्वारा पिछले दस वर्षाे के दौरान नगर निगम ने आज तक सही तरीके से पानी नहीं उपलब्ध करा सका।

बंगाल सरकार पर जन जीवन मिशन लागू नहीं करने का आरोप

 केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ममता सरकार पर केंद्र सरकार की योजनाओं में दिलचस्पी नहीं दिखाने का आरोप लगाया है। शेखावत ने गुरुवार को कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार 'जल जीवन मिशन' के तहत मिले बजट को पिछले वित्तीय वर्ष में भी खर्च नहीं कर पाई। साथ ही राज्य की आरे से मुद्दे पर कोई सहयोग भी नहीं दिखा। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि वह (मंत्री) जब कभी इस योजना की प्रगति पर चर्चा के लिए बैठक बुलाते हैं तो पश्चिम बंगाल सरकार से संबंधित मंत्री या अधिकारी शामिल नहीं होते।

पिछले वित्तीय वर्ष में मिला पैसा भी खर्च नहीं कर पाई बंगाल सरकार

उन्होंने कहा कि लेकिन जब जलशक्ति मंत्रालय के सचिव बैठक करते हैं तो अधिकारी इन बैठकों में शामिल होते हैं। पश्चिम बंगाल को ‘जल जीवन मिशन’ के तहत पश्चिम बंगाल को आवंटित की गई राशि पिछले वित्त वर्ष में खर्च नहीं हो पाई और राज्य की तरफ से मुद्दे पर कोई सहयोग नहीं दिखा।

मोदी ने जल जीवन मिशन पूरा करने की घोषणा  

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को देश के हर घर में पाइप के जरिए पानी मुहैया कराने के लिए एक मिशन का एलान किया था, इसका नाम जल जीवन मिशन है। जल जीवन मिशन के लिए 3.60 लाख करोड़ रुपये की योजना है। बजट 2020 में जल जीवन मिशन के लिए 11,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। लेकिन बाद में यह बजट बढ़ गया जल जीवन मिशन जल शक्ति मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में, जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 23,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा 2020-21 में ग्रामीण स्थानीय निकायों को 15वें वित्त आयोग का 50 फीसदी अनुदान, यानी 30,375 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जा रहा है। इसका उपयोग जलापूर्ति और स्वच्छता के लिए किया जाएगा. इससे गांवों में पेयजल आपूर्ति प्रणालियों के बेहतर नियोजन, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव में मदद मिलेगी, ताकि लोगों को नियमित और दीर्घकालिक आधार पर पीने योग्य पानी मिलता रहे। इन राज्यों के लिए बनार्इ गयी है योजनाअसम, आंध्र प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने 2024 के लिए योजना बनाई है।