असम राइफ्लस के डा.श्‍याम को मिला वीरता पुरस्‍कार

नागालैंड के दीमापुर के पास एक सफल आपरेशन को दिया था अंजाम

पवन शुक्‍ल, सि‍लीगुड़ी

 बहादुरी और शौर्य की प्रशंसा की कला नवीन नहीं है। ये राष्‍ट्र के स्‍थायित्‍व का एक महत्‍वपूर्ण घटक बनाते हैं। इतिहास में शौर्यता को आदर और प्रशंसा के रूप में परिभाषित किया गया है। हमारी लोक कथाओं में भी बहादुरी को मान्‍यता देने की संकल्‍पना स्‍पष्‍ट रूप से देखी जा सकती है। युद्ध के मैदान में वीरगति को गौरवशाली माना गया था। बहादुरी को मान्‍यता देना एक अत्‍यन्‍त प्रतिष्ठित कार्य रहा है। स्‍वतंत्र भारत में परमवीर चक्र, महावी चक्र, अशोक चक्र, शौर्य चक्र आदि सम्‍मान आरंभ किए गए। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए मणिपुर में असम राइफल में तैनात कमांडेंट डा. श्‍याम सुंदर साह ने अपनी वीरता के हुनर को दिखाते हुए वर्ष 2017 में दीमापुर के पास पेरन जिले के जानकी में एक सफल आपरेशन को अंजाम देते हुए बिना क्षति के 9 उग्रवादियों को गिफ्तार किया और भारी मात्रा में गोला बारूद बरामद किए। उनकी इस साहसि‍क कारनामें को देखते हुए डा. श्याम सुंदर साह को वीरता पुरस्‍कार के लिए नामित किया गया। इस वर्ष वीरता पुरस्‍कार (पुलिस मेडल गैलेट्री) पाने वाले असम राइफल्‍स के एक मात्र अधिकारी हैं और जो असम राइफ्लस में पेशेवर डाक्‍टर होने के बावजूद भी इस तरह के आपरेशन को अंजाम दिया।  

मालूम हो कि डा. श्‍याम बिहार के मुजफ्फपुर के निवासी हैं, पिता भी मेघायल विजली  विभाग के रिटार्यड अधिकारी और बचपन से पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में पले बढ़े डा. श्‍याम को वहां की स्‍थानीय भाषा का भरपूर ज्ञान है। इसके साथ ही पूर्वोत्‍तर के क्षेत्र में उनके अपने सोर्स भी कामयाब हैं। यही कारण है कि सेना में डाक्‍टर होने के बाद वर्ष 2017 में आपरेशन का सफल अंजाम देते हुए 9 उग्रवादियों को धर दबोचा था। बताते चलें कि वीरता पुरस्कार उग्रवादियों के आपरेशन के लिए दिया जाने वाला पुरस्‍कार है। जो उग्रवादियों से मुकाबले के दौरान होने वाले क्रास फायरिंग में दिया जाता है।  वर्तमान में डा. श्‍याम सुंदर साह मणिपुर के तामीलांग में तैनात है जो इंफाल से करीब 350 किलोमीटर दूर गांव का क्षेत्र है।  आपरेशन के दौरान बरामद हथियारों की सूची