देश के सीमा की आंख व कान है बीएसएफ

एस के सूद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एडीजी पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।  भारत के पूर्वोत्तर और पश्चिमी सीम प्रबंधन और सुरक्षा पर बीएसएफ पर एक बेहतर कार्यकाल रहा है। बीएसएफ में उनके 40 वर्षों के अनुभवों की परिकल्पना के विषय की अकल्पनीय अंतर्दृष्टि के साथ इस किताब को लिखा है।  जो हमारी सरकारों में बैठे रणनीतिकार सीमा पर आने वाली  बाधा को इस किताब के माध्यम से समझ सकते हैं। श्री सूद ने कहा है “मैं चाहता हूं कि वह सीमा प्रबंधन के ज्वलंत मुद्दों और भारत की सीमा की सुरक्षा के प्रति हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व की और अधिक आंखें खोल सके।” अगर सीमा प्रबंधन में थोड़ सा सुधार के सामरिक संरचना पर ध्यान दे तो आज भारत की सीमा बीएसएफ के माध्यम से फुलप्रुफ हो सकता है। “एसके सूद”
देश की आंतरिक सुरक्षा, सीमा सुरक्षा में तैनात होती है बीएसएफ
साढ़े पांच दशकों के इतिहास में तमाम महत्वपूर्ण कारनामे बीएसएफ के खाते में

पवन शुक्ल, सिलीगुड़ी

संपूर्ण भारत की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा की महत्वपूर्ण का हिस्सा है सीमा सुरक्षा बल (बीएएसएफ)। देश के अंदर होने वाली आतंकी गतिविधिया व दंगे जैसी धटनाओं पर अगर कारगर बल कोई है तो बीएसएफ है। इसके साथ पड़ोसी देश पाकिस्तान व बंगलादेश की सीमा नियंत्रण रेखा पर भी फ्रंट लाइन प्रहरी की भूमिका में आज महत्वपूर्ण भूमिका बीएसएफ निभाते हुए देश की सेवा में सतत् प्रयत्नशील है। हलांकि इन पांच दशकों में जहां बीएसएफ के का विस्तार हुआ है। लेकिन उनकी समस्याओं में भी उसी तरह तेजी से इजाफा हुआ है। बीएसएफ की समस्या और समधान व सीमा को और बेहतर बनाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहे बीएसएफ के सेवानिवृत एडीजी एसके सूद की किताब “बीएसएफ भारत की आंखें और कान” (Bsf The Eyes And Ears of India) में विस्तार से वर्णन किया गया है।  
लेखक श्री सूद ने बताया कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी सीमा सुरक्षा बल है। इसका गठन 1 दिसंबर 1965 को किया गया था। अपने करीब साढ़े पांच दशकों के इतिहास को समेटे बीएसएफ ने जहां सीमा पर बसे लोगों में सुरक्षा की भावना को विकसित करने का काम किया। वहीं सीमा पार अपराधों और तस्करी को रोकने के लिए यह बल पहली पंक्ति के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
इस पुस्तक का उद्देश्य देश की सुरक्षा और अखंडता सुनिश्चित करने में बीएसएफ की भूमिका को उजागर करना है। बीएसएफ के बारे बारे में सार्वजनिक जीवन में बहुत सीमित जानकारी उपलब्ध है। सीमाओं की रक्षा के अलावा बल ने उत्तर पूर्व, जम्मू और कश्मीर और पंजाब में उग्रवाद को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बल की एक बड़ी संख्या वर्तमान में माओवाद विरोधी अभियानों में मध्य भारत में तैनात है। बीएसएफ ने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में, बांग्लादेश की मुक्ति और कारगिल ऑपरेशन में काफी सक्रिय भूमिका निभाई है। वहीं संसद, विधान सभा और अन्य चुनावों के सुचारू संचालन में प्रशासन की सहायता के लिए बल को अक्सर तैनात किया जाता है। इसके साथ ही देश की आंतरिक सुरक्षा में भी बीएसएफ समर्पित सेवा के 54 वर्षों में बल के कर्मियों को पद्म भूषण, पद्म श्री, महावीर चक्र और अन्य वीरता और पदक सहित कई पदक हासिल किए हैं।
इस किताब की सामग्री को सात अध्यायों में विभाजित किया गया है। जिसमें पाठक को पहले अध्याय में भारत की सीमाओं के विकास के इतिहास जानकारी  है। दूसरे अध्याय में भारत में सीमा प्रबंधन के विकास की तरफ ले जाने का प्रयास किया गया है। जबकि तीसरे अध्याय में बीएसएफ के संगठन भूमिका और उपकरणों पर चर्चा की गई है। वहीं चौथे और पांचवें अध्याय में क्रमशः युद्ध के प्रयास और आंतरिक सुरक्षा में बीएसएफ द्वारा निभाई गई भूमिका से कैसे निपटते हैं उसके बारे में वर्णन किया गया। छठा अध्याय पूर्वी और पश्चिमी सीमा पर बीएसएफ द्वारा सामना किए जाने वाली विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का आकलन किया गया है। सातवां और अध्याय में बीएसएफ के लिए भविष्य की चुनौतियों और सिफारिशों का विश्लेषण करता है। यह किताब आसान भाषा  में इस उम्मीद के साथ लिखा गया है कि पाठक इसे जानकारीपूर्ण और उपयोगी पाएंगे। यह किताब एमजोन पर आनलार्इन खरीदा जा सकता है।

पुस्तक का लिंक. https://t.co/tqq3dfhugK