पाक नागरिक के नापाक इरादे का पर्दाफास, गिरफ्तार

फर्जी वोटर कार्ड के सहारे बंगाल विधानसभा और लोक सभा के चुनाव में किया था मतदान

पाक नागरिक आजाद मलिक हवाला कारोबार की आशंका, खाते से 50 करोड़ का हुआ लेन-देन

चुनाव आयोग ने दिया जांच के निर्देश, भाजपा नेता ने टीएमसी सरकार पर साधा निशाना

एनई न्यूज भारत, कोलकाता/सिलीगुड़ी

पश्चिम बंगाल में गंभीर सुरक्षा चूक वाले मामले का खुलासा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोलकाता से गिरफ्तार पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक के खिलाफ जांच तेज कर दी है।  जिसने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारत का मतदाता पहचान पत्र बनवाया और दो बार 2021 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदान किया। वहीं दूसरी ओर जिस व्यक्ति को बांग्लादेशी समझ रहे थे, उसकी सच्चाई जानकर चौंक गया। कोर्ट को बताया कि जिस व्योक्ति‍ को हम लोग बंगालादेशी समझ कर जांच कर रहे थे। उसके मोबाइल डेटा के ज़रिए 'संदिग्ध' गतिविधियों को पता चला और वह पाकिस्ताजनी नगारिक है।

मालूम हो कि पिछले महीने ईडी ने पश्चिम बंगाल से एक पाकिस्तानी नागरिक को गिरफ़्तार किया था। जांच में पता चला है कि गिरफ़्तार आज़ाद मलिक के पास दो वोटर आईडी और दो डीएल हैं। उसने कई बार फर्जीवाड़ा भी किया है। हालांकि उसे फर्जी पासपोर्ट रैकेट मामले में गिरफ्तार किए गए आज़ाद मलिक उर्फ अहमद हुसैन को लेकर ED ने बढ़ा खुलासा किया है। ED ने कोर्ट में दावा किया है कि फर्जी पासपोर्ट के जरिए भारत आने वाला अहमद हुसैन आजाद पाकिस्तान का है और यह बात उसने खुद कबूली है। मंगलवार को उसे अदालत में फर्जी वीजा बनाने में शामिल होने के आरोप को लेकर पेश किया गया था। अदालत में उसे पेश करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उसके देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की जानकारी दी।

ईडी ने आजाद को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बिराती से 15 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। पहले आजाद के बांग्लादेशी होने का दावा किया जा रहा था लेकिन जब जांच हुई तो ईडी को पता चला कि आजाद मलिक पाकिस्तान से है, उसने बांग्लादेश के रास्ते भारत में प्रवेश किया था। दरअसल बीते मंगलवार को उसकी 14 दिन की ईडी हिरासत खत्म हो गई। जिसके बाद कोर्ट ने आजाद मलिक को न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जबकि ईडी अभी उससे पूछताछ करना चाहती है।

बैंक लेनदेन के मिले 50 करोड़ रुपये के सबूत

फर्जी पासपोर्ट रैकेट मामले में गिरफ्तारियां की जा रही हैं, इसी कड़ी में आजाद मलिक को गिरफ्तार किया गया था। मंगलवार को अदालत में ईडी ने अपने बयान में कहा कि उन्हें आजाद और उसके सहयोगियों के बीच करीब 50 करोड़ रुपये के बैंक लेनदेन के नए सबूत मिले हैं। इसके साथ ही ईडी ने अदालत को ये भी बताया कि आजाद यूरोपीय देशों के लिए वीजा बनाता था। वह दुबई, कंबोडिया और मलेशिया के लिए फर्जी वीजा बनाता था। जिसकी जांच की जा रही है।

गौरतलब है कि आजाद मलिक उत्तर 24 परगना जिले के दमदम उत्तर विधानसभा क्षेत्र का पंजीकृत मतदाता था, जो दमदम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। पूछताछ में उसने स्वयं विधानसभा 2021 और लोकसभा 2024 में दोनों बार मतदान करने की बात स्वीकार की है। यह सवाल उठ रहा है कि मतदाता सूची की नियमित समीक्षा के दौरान इतनी बड़ी चूक कैसे हुई और फर्जी दस्तावेजों को वैध कैसे मान लिया गया। वहीं ईडी ने भारत निर्वाचन आयोग और राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय से संपर्क कर पूरे मामले की जानकारी मांगी है। एजेंसी यह जानना चाहती है कि आजाद ने कौन-कौन से दस्तावेजों के जरिए EPIC कार्ड हासिल किया और किस स्तर पर लापरवाही बरती गई। ईडी के अनुसार शुरू में आजाद मलिक ने खुद को बांग्लादेशी नागरिक बताया था और भारतीय पासपोर्ट समेत कई पहचान पत्र बनवा लिए थे लेकिन 29 अप्रैल को कोलकाता की विशेष अदालत में पेशी के दौरान उसने स्वीकार किया कि वह असल में पाकिस्तान का मूल निवासी है। उसने पहले फर्जी तरीके से बांग्लादेशी नागरिकता प्राप्त की और फिर भारतीय दस्तावेज हासिल कर भारत में रहना शुरू कर दिया।

वहीं इस खुलासे ने राजनीतिक गलियारों में भी हड़कंप मचा दिया है। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इसे तृणमूल कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में विदेशी नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करने की साजिश करार दिया है।

उल्लेखनीय है कि दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र का मतदाता आजाद मलिक सोशल मीडिया पर बांग्लादेश के छात्र आंदोलन में हिस्सा लेता नजर आ रहा है। आरोप है कि आजाद के पास भारत और बांग्लादेश दोनों की नागरिकता है। इस पर चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को जांच के निर्देश दिए हैं।

ईडी की जांच इस दिशा में इशारा कर रही है कि सीमावर्ती इलाकों में फर्जी दस्तावेजों के जरिये विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता और मतदान अधिकार दिलाने का संगठित रैकेट काम कर रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह के मामले सत्तारूढ़ दल के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं।