शवों के साथ लापरवाही, राज्यों को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

बंगाल समेत तीन राज्यों के चीफ सेक्रेटरीज से कहा- पेशेंट मैनेजमेंट सिस्टम का जायजा लें रिपोर्ट सौंपें

बेंच ने कहा- टेस्टिंग कराना राज्य की जिम्मेदारी है, ज्यादा लोग अपना हेल्थ स्टेटस जान सकें

न्यूज भारत, नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में राज्यों द्धारा की जा रही लापरवाही और शवों के साथ किए जा  रहे सलूक के मामले में शुक्रवार को सख्त बातें कहते हुए, कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगायी। कोर्ट ने कहा कि ‘अगर शव कचरे के ढेर में मिल रही हैं तो इंसानों के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक किया जा रहा है।’ इस मामले पर अब अगले बुधवार यानी 17 जून को सुनवाई होगी। कोरोना संक्रमित मरीजों, के शवों से लेकर कोरोना से निपटने के तरीकों तक सुप्रीम कोर्ट की सात  सख्त बातें कही। शवों के साथ ऐसा सलूक? जस्टिस एमआर शाह ने कहा- शवों किस तरह से रखी जा रही हैं? ये क्या हो रहा है? अगर लाशों के साथ ऐसा सलूक हो रहा है, अगर लाशें कचरे के ढेर में मिल रही हैं तो यह इंसानों के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक है। दिल्ली में हालात डरा देने वाले हैं  सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र की गाइडलाइंस को नहीं अपनाया जा रहा। दिल्ली में तो डरा देने वाली स्थिति है। हालात ऐसे हैं कि तरस आता है। देश की राजधानी में जिस तरीके से कोरोना से निपटा जा रहा है, उसमें दिक्कतें हैं। मरीज की मौत के बाद परिवार को नहीं बताया जा रहा बेंच ने कहा- दिल्ली के अस्पतालों में शवों पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जा रहा। यहां तक कि मरीज की मौत के बारे में परिवार के लोगों को भी नहीं बताया जा रहा। कुछ मामलों में तो परिवार के लोगों को अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं होने दिया जा रहा। दिल्ली में कम टेस्ट क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दिल्ली में चेन्नई और मुंबई के मुकाबले कम टेस्ट हो रहे हैं। मई के मुकाबले में टेस्टिंग कम हुई है। जब कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं, तब टेस्टिंग कम हो रही है। दिल्ली में आखिर इतने कम टेस्ट क्यों हो रहे हैं? टेस्टिंग राज्य की जिम्मेदारी बेंच ने कहा- तकनीकी वजहों से किसी को भी आप टेस्टिंग से दूर नहीं रख सकते। आप तौर-तरीकों को आसान बनाइए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग कोरोना का टेस्ट करा सकें। टेस्टिंग कराना राज्य की जिम्मेदारी है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अपना हेल्थ स्टेटस जान सकें।  केंद्र सरकार ने क्या किया? जब केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली में एक मामला ऐसा भी सामने आया, जब लाशों को कोरोना का इलाज करा रहे मरीजों के पास ही रख दिया गया। इस पर जस्टिस एमआर शाह ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि तो फिर आपने क्या किया? लोग दर-दर भटक रहे हैं बेंच ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि सरकारी अस्पतालों में बेड खाली हैं, जबकि कोरोना के मरीज अस्पतालों में भर्ती होने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से रिपोर्ट मांगी  सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के चीफ सेक्रेटरीज से कहा है कि वे पेशेंट मैनेजमेंट सिस्टम का जायजा लें और इस पर एक रिपोर्ट सौंपें। बेंच ने दिल्ली के एलएनजेपी हॉस्पिटल को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।  सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खुद नोटिस में लिया था दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार की लिखी एक चिट्ठी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खुद नोटिस में लिया था। शुक्रवार को जब इस पर सुनवाई हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, महाराष्ट्र, बंगाल और तमिलनाडु को नोटिस जारी किया।