आशा का किरण बने बी.एस.एफ के जवान। गर्भवती महिला को समय पर मिला औपचारिक इलाज।

 जिला मुर्शिदाबाद व मालदा के सीमावर्ती इलाकों में दो गर्भवती महिलाओं को नजदीकी अस्पताल में समय पर पहुंचाकर उनका इलाज कराया। पहली घटना में, 18 मार्च, 2024 की रात को बीएसएफ की 86वीं वाहिनी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले शिकारपुर गांव में, एक गर्भवती महिला, श्रीमती नीलिमा मंडल (29) को अचानक प्रसव पीड़ा हुई, जिससे उनकी हालत बिगड़ गई। त्वरित कार्रवाई अनिवार्य थी, और परिवार ने स्थानीय बीएसएफ इकाई से सहायता मांगी। बिना देर किए, कंपनी कमांडर ने तेजी से एक नर्सिंग सहायक के साथ एक बीएसएफ एम्बुलेंस को श्रीमती मंडल के आवास पर भेजा जंहा टीम ने कुशलतापूर्वक उसे तत्काल चिकित्सा के लिए करीमपुर के सरकारी अस्पताल पहुंचाया। उसी दिन दूसरी घटना में, जिला मालदा के मिलिक सुल्तानपुर गांव के श्री अंकुर मंडल ने महादीपुर सीमा चौकी के कमांडिंग ऑफिसर से संपर्क किया और उन्हें एक और आपातकालीन मामले की जानकारी दी। श्री दलू मिया की पत्नी और मिलिक सुल्तान पुर की निवासी श्रीमती नर्बनु खातून (20) को प्रसव संबंधी जटिलताओं का अनुभव हुआ। तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए, कंपनी कमांडर ने श्रीमती खातून को मालदा मेडिकल कॉलेज ले जाने के लिए एक प्रशिक्षित नर्सिंग सहायक के साथ एक बीएसएफ एम्बुलेंस भेजकर मडिकल कॉलेज व अस्पताल, मालदा पहुंचाया जहां उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।  श्री ए.के. आर्य, डी.आई.जी, दक्षिण बंगाल सीमान्त के जनसंपर्क अधिकारी ने जवानों की अनुकरणीय सामाजिक सेवा पहल के लिए उनकी की सराहना की। आगे अधिकारी ने कहा की यह त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थानीय समुदाय के कल्याण के प्रति बीएसएफ के अटूट समर्पण को उजागर करती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बीएसएफ कर्मी अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा करते हैं और विपरीत परिस्थितियों में लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहते हैं।